अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टिना लेगार्ड और नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने एक ज्वाइंट पेपर में कहा है कि देश की लेबर फोर्स में यदि महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाए, तो इससे जीडीपी में 27 फीसदी तक बढ़त हो सकती है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ओर से दावोस में एनुअल समिट की शुरुआत में दोनों नेताओं ने 2018 को महिलाओं की कामयाबी का साल बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति भेदभाव और हिंसा का समय लद चुका है।
विश्व आर्थिक मंच समिट दावोस के स्विस स्काओई रेजॉर्ट्स में हो रही है। लेगार्ड और सोलबर्ग इस साल की सालाना महिला सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही हैं। भारत की सामाजिक उद्यमी चेतना सिन्हा भी सम्मेलन की सह अध्यक्षता करेंगी। यह सम्मेलन सोमवार (22 जनवरी) से शुरू होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत 70 देशों के प्रमुख शामिल होंगे।
दोनों नेताओं ने लिखा, ‘महिलाओं के लिए अधिक सम्मान और अवसरों की जरूरत अब सार्वजनिक रूप से होने वाली बातचीत का अहम हिस्सा होने लगा है। महिलाओं और लड़कियों को सफल होने का अवसर मुहैया कराना न केवल सही है बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था को भी बदल सकता है। ‘आर्थिक आंकड़ें खुद अपनी कहानी कहते हैं। लेबर फोर्स में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर करने से जीडीपी को गति मिलेगी। उदाहरण के लिए ऐसा करने पर जापान की जीडीपी 9 प्रतिशत और भारत की जीडीपी 27 प्रतिशत तेज होगी।‘
लेगार्ड और सोलबर्ग ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि WEF की इस साल की समिट के एजेंडे में ‘महिला सशक्तीडकरण की चुनौतियां‘ निश्चित तौर पर होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना किसी भी देश के लिए चुनौती है। यह एक ऐसा लक्ष्य जिससे हर देश को फायदा होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं को पिछड़ा रखने के कुछ कारक हर जगह हैं। करीब 90 फीसदी देशों में जेंडर के आधार पर रुकावट डालने वाले एक या अधिक कानून हैं। कुछ देशों में महिलाओं के पास सीमित संपत्ति अधिकार हैं जबकि कुछ देशों में पुरुषों के पास अपनी पत्नी को काम से रोकने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को परिवार का पालन करने के साथ ही कार्यस्थल पर सक्रिय रखने में मदद करना महत्वपूर्ण है।