इस बार हमास का जो इजराइल पर हमला हुआ , ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। लेकिन आज जो हिंसा देखने को मिल रही है इसका अंदाजा लगाया जा सकता था। फिलिस्तीन के लोगों में लंबे वक्त से निराशा और गुस्सा है। हमास अपने हमले को इसी निराशा और गुस्से की बिनाह पर सही बता भी रहा है।
गाजा पट्टी की बता की जाए तो यहां 23 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। वो भी महज 365 km2 के क्षेत्र में। अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाजा पट्टी में जनसंख्या घनत्व कितना अधिक है। यहां दो तिहाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है। वहीं 29 साल से नीचे की आयु के वर्ग में बेरोजगारी 75 फीसदी है। इजराइल का गाजा पट्टी की जमीन , हवा और पानी पर इतना सख्त पहरा है कि ये इलाका दुनिया से कटा हुआ है।
पानी और बिजली जैसी सुविधा न मिलना बहुत आम है। दुनियाभर से मिल रही आर्थिक सहायता की बदौलत गाजा पट्टी जिंदा है। ऐसे हालात में यहां के युवा बहुत कट्टर हो चले हैं। न तो उनका बातचीत में यकीन है और न ही वह राजनीति के जरिए अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं। वे बहुत ही निराश हैं।
ऐसे में हमास द्वारा बताया जा रहा हिंसा का रास्ता सब को सही लगने लगा है। वेस्ट बैंक में रह रहे फिलिस्तीनी भी गाजा के फिलिस्तीनियों के समर्थन में हैं। हमें समझना होगा कि आखिर फिलिस्तीनी इतनी हिंसा पर क्यों उतर आए हैं।
दरअसल फिलिस्तीनी घरों पर लगातार हमले होते हैं। इनका आरोप है कि इजराइल उनकी जमीन पर लगातार कब्जा कर रहा है। यहां तक कि मुसलमानों के लिए पवित्र मानी जाने वाली अल अक्सा मस्जिद पर भी इजराइल का नियंत्रण है। ध्यान देने वाली बात ये है कि हमास ने अपने हमले का नाम ही अल अक्सा फ्लड दिया था।
वेस्ट बैंक के हिस्से में रह रहे फिलिस्तीनियों पर भी बहुत रोक टोक है। यहां पर भी इजराइल के प्रतिबंध अमल में हैं। यहां इजराइल द्वारा 593 चेक पॉइंट बनाए गए हैं। प्रतिबंधों का नतीजा ये है कि फिलिस्तीनी गरीबी और बेरोजगारी के बीच जी रहे हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक इस साल हमास के हमले से पहले 200 फिलिस्तीनी मारे गए थे। कई फिलिस्तीनी इजराइल की जेलों में बंद हैं। फिलिस्तीन में 2006 के बाद से चुनाव नहीं हुए। फिलिस्तीन अथॉरिटी के पास कोई ताकत नहीं है। लोग राजनीति से नाउम्मीद हो चुके हैं। ऐसे में हमास इन नाउम्मीद लोगों का मसीहा बन गया है।
हमास बताता है कि वही फिलिस्तीनियों केअधिकारों की रक्षा कर सकता है और उनकी लड़ाई लड़ सकता है। गाजा पट्टी पर तो उसका ही शासन है और वह फिलिस्तीनियों के गुस्से और नाउम्मीद का इस्तेमाल हिंसा के लिए कर रहा है।