क्या है Door to Hell? जिसे Turkmenistan सरकार बंद करने जा रही है

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Door to Hell
Door to Hell

नरक में जाओगे, जब कोई बुरा काम करता है तो, भारतीय उसे नरक (Hell) का डर दिखाते हैं। यह कहावत भारत में बहुत प्रचलित है। पर नरक है कहां? कैसी होती है? इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। किसी से पूछा जाए कि नरक कहां है तो वे एक ही जवाब देते हैं, “नरक धरती पर नहीं है।” पर यह पूरी तरह से सच नहीं है। नरक धरती पर ही स्थित है और मध्य ऐशिया में ही है। तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) के उत्तर में एक बड़ा सा गढ्ढा है जिसे गेट्स ऑफ हेल (Door to Hell) यानी नरक का दरवाजा कहा जा है। इस गढ्ढे में 1971 से ही आग धधक रही है।

Door to Hell का नाम

Door to Hell Name
Door to Hell Name

तुर्कमेनिस्तान में 69 मीटर चौड़े और 30 मीटर गहरे इस गड्ढे को गेट क्रेटर कहा जाता है। बीते कई दशकों से इस गढ्ढे में आग धधक रही है। वहां के लोगों का मानना है कि इस आग के पीछे शैतान का हाथ है। वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि गढ्ढे से निकलने वाली प्राकृतिक गैस मीथेन के कारण आग जल रही है।

अब इस नरक के दरवाजे को तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति (गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव) Gurbanguly Berdimuhamedow ने बंद करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसे पर्यावरण और स्वास्थ्य कारणों के साथ-साथ गैस निर्यात बढ़ाने के प्रयासों के रूप देखा जाए।

Door to Hell कैसे बना?

 Door to Hell History
Door to Hell History

असल बात तो यह है कि आग को बुझाने के लिए काफी समय से कोशिशि जारी है। साल 2010 में राष्ट्रपति ने जानकारों को आग को बुझाने के लिए कोई हल तलाशने के लिए कहा था। पर आग कैसे लगी? कब से नरक का दरवाजा खुला? इसे लेकर कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सोवियत संघ के भू-वैज्ञानिक काराकुम के रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे। यहां एक जगह पर उन्हें प्राकृतिक गैस के भंडार मिले लेकिन खोज के दौरान वहां की जमीन बैठ गई और तीन बड़े गहरे गढ्ढे बन गए।

नरक का दरवाजा है काफी फेमस

  Door to Hell Tourist Place
Door to Hell Tourist Place

गढ्ढे से मीथेन के रिसने का खतरा था जो कि हवा में घुलकर घातक बन सकती थी। इसलिए सोवियत संघ के भू-वैज्ञानिक ने गढ्ढे में आग लगा दी। उनका मानना था कि कुछ ही दिन में मीथेन खत्म हो जाएगी और आग बुझ जाएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। आग अभी भी जल ही रही है। इस तरह बना नरक का दरवाजा।

नरक का यह दरवाजा इतना पॉपुलर है कि दूर -दराज से लोग इसे देखने के लिए जाते है। हर साल करीब छह हजार सैलानियों वाले इस देश के लिए मीथेन उगलने वाला ये गढ्ढा देश के सबसे बड़े पर्यन स्थलों में शामिल हो चुका है। काराकुम रेगिस्तान में ये गड्ढा रात को भी दूर से दिखाई देता है और कई सैलानी इसे देखने जाते हैं।

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