Wheat Export: भारत द्वारा पिछले महीने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद दुनिया के कई देशों में हड़कंप मच गया था। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत से खरीदे गेहूं के देश से बाहर निर्यात करने पर रोक लगा दी है। हालांकि, यह रोक चार महीने के लिए है।
हाल ही में भारत को इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन से गेहूं के निर्यात के लिए अनुरोध भी प्राप्त हुए हैं। इन सबके बीच संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय गेहूं के निर्यात और पुनः निर्यात को चार महीने के लिए निलंबित करने का आदेश दिया है।

बता दें कि, यह रोक गेहूं के सभी प्रकारों के गेहूं जैसे हार्ड गेहूं, सामान्य गेहूं, सॉफ्ट गेहूं और आटे सभी पर लागू होगी। यूएई की सरकारी समाचार एजेंसी डब्ल्यूएएम ने बयान जारी कर कहा कि 13 मई से पहले यूएई में आयात हुए भारतीय गेहूं या आटे के देश से बाहर निर्यात करने पर रोक लगाई गई है।
देश के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने बताया कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के कारण व्यापार बाधित होने की वजह से लिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने यूएई को घरेलू खपत के लिए गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी थी और इस बात को भी ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है।
वहीं, मंत्रालय ने कहा कि जो गेहूं या आटा भारत से नहीं खरीदा गया है, उसके देश से बाहर निर्यात के लिए कंपनियों को अब सरकार से मंजूरी लेनी होगी। सरकार गेहूं की उनकी जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है। इसके बाद इन देशों को कितना गेहूं निर्यात किया जाएगा, इस पर फैसला होगा।

रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियों को अब अर्थव्यवस्था मंत्रालय के समक्ष वे सभी दस्तावेज और फाइलें जमा करानी होंगी, जिसमें निर्यात किए जाने वाले गेहूं की खेप के देश, लेनदेन की तारीख और अन्य जरूरी जानकारियां की पुष्टि करने वाले डेटा शामिल हों। ऐसी स्थिति में कंपनियों को सरकार की ओर से एक्सपोर्ट परमिट जारी किया जाएगा, जिसकी अवधि 30 दिन की होगी।
यूएई सरकार के इस कदम का मतलब है कि कई देश (अधिकतर अमीर और विकसित देश) उससे अब भारतीय गेहूं नहीं खरीद पाएंगे, जो वे पहले करते थे। इससे भारत के गेहूं की जमाखोरी पर भी रोक लगेगी।
भारत ने कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की दी थी मंजूरी
दुनियाभर के कई देशों में गेहूं को लेकर हड़कंप तब मचा जब भारत ने बीते महीने निर्यात पर रोक लगाते हुए कहा था कि वह अपने पड़ोसियों और जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात करता रहेगा। हालांकि हाल ही में भारत ने इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार 12 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी देने की तैयारी में है।
भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय भाव की तुलना में 40 फीसदी सस्ती
बता दें कि, भारतीय गेहूं की मांग के पीछे एक बड़ा कारण इसकी कम कीमत है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, कीमतें बढ़ने के बाद भी भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय भाव की तुलना में 40 फीसदी सस्ते में उपलब्ध है। यही प्रमुख कारण है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया की निगाह भारत के गेहूं पर टिकी है।
बताते चलें कि, यूएई और भारत के बीच फरवरी में व्यापार और निवेश को लेकर समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों देशों को एक-दूसरे के उत्पादों पर सभी तरह के शुल्क खत्म करना था। इस समझौते का उद्देश्य अगले पांच साल में दोनों देशों के बीच का सालाना कारोबार बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का है। इस करार का नाम कॉम्प्रेहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप ट्रेड एग्रीमेंट (सीईपीए) है, जो एक मई को प्रभावी हुआ।
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