चीन के वन बेल्ट वन रोड यानी OBOR परियोजना का विरोध कर रही भारत को अमेरिका का साथ मिल गया है। बता दें इस योजना के विरोध में भारत ने मई में चीन में हुए OBOR सम्मेलन में अपना प्रतिनिधि भेजने से इनकार कर दिया था। यह योजना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी योजना में से एक है।

दरअसल इस योजना में चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर  (CPEC) भी प्रस्तावित है। ये कॉरिडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपना हक जताता रहा है।

OBOR मसले पर अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने कहा कि किसी भी देश को ऐसे इलाके में निर्माण से बचना चाहिए जो कि विवादित क्षेत्र हो। गौरतलब है कि हाल ही में रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने भारत का दौरा किया था। भारतीय दौरे के बाद अमेरिका पहुंचे मैटिस ने सीनेच आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने कहा कि अब हम एक ग्लोब्लाइज़ड वर्ल्ड में रहते हैं जहां कई तरह की रोड बेल्ट है।

OBOR और चीन की नीति पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वन बेल्ट वन रोड योजना एक विवादित क्षेत्र से होकर निकलता है जो कि साफ दर्शाता है कि एक देश अपनी बात को मनवाना चाह रहा है।

क्या है OBOR योजना

दरअसल  वन बेल्ट वन रोड योजना चीन की एक महत्वकांक्षी योजना है, जिसके तहत यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देशों को सड़क और समुद्र रास्तों से जोड़ा जाएगा। इस योजना को लेकर चीन ने दावा किया है कि इस योजना के तहत दुनिया के कई देशों को एक साथ जोड़ने से इन देशों के बीच कारोबार को बढ़ाने और इंफ्रस्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

भारत क्यों कर रहा है विरोध-

भारत ने तकरीन 60 अरब डॉलर के सीपीईसी को लेकर अपनी संप्रभुता की चिंताओं के कारण इस वर्ष मई में बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) में शामिल नहीं हुआ। सीपीईसी, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरती है।  इसके अलावा माना जा रहा है कि इस योजना के बाद चीन का भारत के अन्य पड़ोसी देशों पर दबदबा कायम हो जाएगा।

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