Sri Lanka Crisis: रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बन गए हैंं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रानिल ने आज शाम पीएम पद की शपथ ली। इससे पहले, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने गुरुवार को घोषणा की कि वह जल्द ही इस सप्ताह के अंत तक एक नया प्रधानमंत्री और एक कैबिनेट नियुक्त करेंगे।
बता दें कि देश को गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे 225 सदस्यीय संसद में समर्थन के साथ “एकता सरकार” का नेतृत्व करने और राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा की जगह लेने के लिए रेस में सबसे आगे थे।

Sri Lanka Crisis: आर्थिक संकट हिंसा में हो रहा है तब्दील
गौरतबल है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट अब घातक हिंसा में बदल रही है। इस हिंसा में बीते दिन आठ लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक घायल हो गए थे। देश के शक्तिशाली प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया और उनके भाई, राष्ट्रपति, इस अराजकता भरे माहौल से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं।
बिजली कटौती, बुनियादी सामानों की कमी और बढ़ती कीमतों से नाराज विरोधी प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पद छोड़ दें। लेकिन राष्ट्रपति ने नियंत्रण बनाए रखने के प्रयास में आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल भी भरपूर किया है।

आईएमएफ कर रहा है नई सरकार का इंतजार
दूसरी तरफ आईएमएफ ने कहा कि नई सरकार बनते ही हम नीतिगत मसलों पर चर्चा शुरू कर देंगे। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की इस कदर किल्लत है कि वो अपने जरूरी आयात के लिए भी डॉलर नहीं जुगाड़ कर पा रहा है। बता दें कि श्रीलंका में जब आर्थिक संकट शुरू हुआ था तो विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 50 मिलियन डॉलर ही रह गया था।

श्रीलंका इस स्थिति तक कैसे पहुंचा?
विश्लेषकों का कहना है कि सरकारों द्वारा आर्थिक कुप्रबंधन ने श्रीलंका के वित्तीय स्थिति को कमजोर कर दिया, जिससे राष्ट्रीय व्यय उसकी आय से अधिक हो गया और व्यापार योग्य वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अपर्याप्त स्तर पर हो गया। 2019 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद राजपक्षे सरकार द्वारा लागू कर में गहरी कटौती से स्थिति और खराब हो गई थी। उसके बाद, कोविड -19 महामारी का प्रकोप हुआ, इसने श्रीलंका के अधिकांश राजस्व आधार को मिटा दिया, विशेष रूप से आकर्षक पर्यटन उद्योग को।

सरकार ने क्या किया?
तेजी से बिगड़ते आर्थिक माहौल के बावजूद, राजपक्षे सरकार ने शुरू में आईएमएफ के साथ बातचीत बंद कर दी थी। महीनों तक, विपक्षी नेताओं और कुछ वित्तीय विशेषज्ञों ने सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह किया, लेकिन वो नहीं माने, इस उम्मीद में कि पर्यटन वापस उछाल देगा और सबकुछ ठीक हो जाएगा।
आखिरकार, श्रीलंका सरकार ने भारत और चीन जैसे क्षेत्रीय महाशक्तियों सहित अन्य देशों से मदद मांगी। भारत का कहना है कि उसने इस साल 3.5 अरब डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है।
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