Pakistan-Taliban के रिश्ते अब दुनिया के सामने उजागर हो गए है। अब बाइडन सरकार (Biden Government) ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों की नए सिरे से समीक्षा करने का फैसला किया है। इससे दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो सकते हैं। तालिबान के साथ अपने रिश्तों को लेकर पाकिस्तान सरकार हमेशा छुपाती रहा है और अंदरूनी सपोर्ट करती रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अमेरिकी सदन में कहा कि तालिबान शासित सरकार को मान्यता चाहिए तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खरा उतरना होगा। साथ ही उन्होंने पाक से कहा है कि तालिबान को मान्यता देने में जल्दी ना करें।
इमरान ने तालिबान को बताया था समान्य नागरिक
कुछ समय पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) ने कहा था कि अमेरिका ने ही अफगानिस्तान में गड़बड़ किया है, जिसका खामियाजा अफगानिस्तान भुगत रहा है। उन्होंने 2001 के आक्रमण के लिए अमेरिका पर सवाल भी उठाए थे। यही नहीं इमरान ने तालिबान को सामान्य नागरिक बता दिया था। वहीं पाकिस्तान सरकार के इशारे पर हक्कानी नेटवर्क को तालिबान सरकार में महत्वपूर्ण पद दिए गए। वहीं पंजशीर घाटी में युद्ध के दौरान तालिबान में करीब 500 पाकिस्तानियों के शामिल होने की बात सामने आई।
तालिबान को लेकर पाक का दोहरा चरित्र
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान हमेशा कहता रहा कि वह अफगानिस्तान सरकार की मदद कर रहा है, जबकि वह तालिबान की मदद करता रहा। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान खुलकर तालिबान के साथ आ गया है, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआई ने तालिबान सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई।
इन तमाम बातों को देखते हुए अमेरिका, पाकिस्तान के साथ संबंधों की समीक्षा कर रहा है। पाकिस्तान पर अमेरिकी संसदों के अलावा दुनिया भर के लोगों ने नाराजगी जताई है। तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर बाइडन प्रशासन ने माना है कि पाक का हक्कानी नेटवर्क के साथ संपर्क था और पाक को इमरान सरकार ने शरण दी थी।
अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन की मांग की है। सीनेट के कुछ सदस्यों ने गैर-नाटो सहयोगी के तौर पर दर्जा खत्म करने और वित्तीय मदद रोकने के लिए कहा है। अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों को मारा गया, पाकिस्तान अमेरिका से अरबों डालर की मदद लेता रहा और तालिबान की मदद करता रहा।
बाइडन की लोकप्रियता हुई कम
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन पर लोग सवाल उठा रहे हैं और इस फैसले के बाद उनकी लोकप्रियता में भी गिरावट आई है। उनकी अपनी ही पार्टी उनका विरोध कर रही है और उनकी रेटिंग 50 फीसद से नीचे गिर गई है। इसके अगले साल चुनाव में उनकी पार्टी कमजोर हो सकती है।
दुनिया भर में सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान तालिबान के रिश्ते बताए जा रहे हैं, एक यूजर का कहना है कि ”पाकिस्तान और तालिबान स्टेट स्पॉन्सर्ड ग्रुप है, जिसका काम दुनियाभर में शांति खत्म करना और विस्तार करना है, इसका हालिया उदाहरण अफगानिस्तान है।”
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