दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन अब अपनी दशकों पुरानी ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ को खत्म करने की तैयारी में है। चीन के एक सरकारी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ड्राफ्ट सिविल कोड से फैमिली प्लानिंग से संबंधित सामग्री को हटा दिया गया है।

हालांकि इस रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया गया है कि नई नीति में दंपतियों के लिए बच्चे पैदा करने की लिमिट बढ़ाई जाएगी या फिर इससे सभी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।

आपको बता दें कि इस सप्ताह नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमिटी ड्राफ्ट सिविल कोड पर चर्चा कर रही है। यह सिविल कोड 2020 तक तैयार किया जाएगा।

ड्राफ्ट सिविल कोड में तलाक फाइल करने वाले दंपतियों को केस वापस लेने के लिए एक महीने का ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ भी दिए जाने की बात है। इसके अलावा सिविल कोड में दफ्तरों में होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने को लेकर कदम शामिल किए गए हैं।

बुजुर्गों की बढ़ती आबादी, जन्मदर के कम होने और वर्कफोर्स में लगातार गिरावट आने से परेशान चीन ने अपनी फैमिली प्लानिंग की नीति में ढील देना शुरू कर दिया था। 2016 में सरकार ने शहरी इलाकों के दंपतियों को एक बच्चे की जगह दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी। बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए चीन ने 1979 में ‘एक बच्चे की नीति’ को लागू किया था।

चीन ने अपनी ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ में ढील देते हुए ‘दो बच्चों की पॉलिसी’ लागू की लेकिन उसके बाद भी जन्म दर में उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हुई।

नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, 2016 में केवल 179 लाख बच्चे ही पैदा हुए जो इससे पहले के साल की तुलना में 1।3 मिलियन ही ज्यादा था। 2017 में 172 मिलियन जन्म हुए जबकि आधिकारिक अनुमान में यह आंकड़ा 2 करोड़ था।

चीन में बुजुर्ग आबादी बढ़ने और घटती जन्म दर की वजह से आने वाले वक्त में चीन की विकास की गाड़ी भी पटरी से उतर सकती है। बड़ी आबादी वाले चीन में अधिकारियों ने पहले तो वन चाइल्ड की नीति का बचाव किया। अधिकारियों का दावा था कि इस नीति के लागू होने से करीब 40 करोड़ बर्थ कम करने में मदद मिली।

यूएन के मुताबिक,  20 वर्षों में चीन में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या का अनुपात दोगुना हो जाएगा जो 2017-2037 के बीच 10-20 फीसदी है। यूएन का अनुमान है कि चीन में 2050 तक करीब 30 फीसदी से ज्यादा लोग 60 साल की उम्र से ज्यादा के होंगे।

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