India Vs China: भारत ने चीन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने पैर खींचने के लिए एक बार फिर मजबूर कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की बैठक में एक बार फिर चीन को मुंह की खानी पड़ी, जब भारत की कूटनीति के आगे उसकी एक ना चली। ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन और अमेरिका के संयुक्त ग्रुप AUKUS के खिलाफ चीन अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा था।
मगर भारत की कोशिश से यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। भारत के इस कदम की कई देश तारीफ भी कर रहे हैं। तारीफ करने वाले देशों में खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।
दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का सामान्य सम्मेलन 26 से 20 सितंबर 2022 तक वियना में आयोजित किया गया था। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियां देने की मांग के लिए AUKUS के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश की थी। चीन ने तर्क दिया कि यह पहल परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत उनकी जिम्मेदारियों का उल्लंघन है।
India Vs China: भारत ने किया किया कुशल कूटनीति का इस्तेमाल
चीन के प्रस्ताव IAEA में आने के बाद भारत ने अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। भारत ने IAEA के कई छोटे देशों को इस प्रस्ताव के खिलाफ काम करने के लिए मना लिया। इसके लिए वियना में भारतीय मिशन ने IAEA के कई सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया। भारत की सफल कूटनीति का ये असर हुआ कि चीन को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
जब चीन को ये मालूम हो गया कि इस प्रस्ताव पर उसे बहुमत हासिल नहीं होगा तो उसने 30 सितंबर को अपना मसौदा वापस ले लिया। भारत के इस भूमिका और कूटनीति की IAEA के सदस्य देशों ने तारीफ की। इसमें खासतौर से AUKUS के सदस्य देश शामिल हैं।
बता दें कि IAEA की नीति-निर्माण बॉडी एजेंसी के कार्यक्रमों ऐर बजटों का निर्धारण करती हैं। इनमें सभी सदस्य देशों के आम सम्मेलन और 35 सदस्यीय बोर्ड ऑफ गवर्नर्स शामिल होते हैं। आम सम्मेलन आमतौर पर सितंबर में वियना में आईएईए मुख्यालय में हर साल आयोजित किया जाता है। भारत को 2021-2022 के लिए इस बोर्ड का सदस्य बनाया गया है।
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