Facebook बीते कुछ महीनों से लगातार विवादों में चल रहा है। फेसबुक पर संगठित तरीके से राजनीतिक दलों के पक्ष में अपने प्लेटफॉर्म के के इस्तेमाल और चुनावों को प्रभावित करने जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
अभी कुछ दिनों पहले ही फेसबुक ने अपना नाम बदल कर Mata कर लिया था, जिसमें भी विवाद जुड़ गया कि फेसबुक ने कथित तौर पर इस नाम को चुराया है।
वहीं अब फेसबुक ने पहली बार इस बात को भी स्वीकार कर लिया है कि उसके प्लेटफॉर्म से यूजर्स को धमकाया जाता है। एक डेटा के मुताबिक एक यूजर जब ऑनलाइन फेसबुक पर औसत 10 हजार सामग्री देखता है तो इनमें से लगभग 15 ऐसी सामग्री ऐसी होती है, जिनमें धमकी शामिल होती है।
इसके साथ ही यूजर्स को अलग से हिंसा की पांच और नफरत फैलाने की तीन सामग्रियों को भी सहनी पड़ती हैं।
सामुदायिक मानक अनुपालन रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह दिलचस्प खुलासा फेसबुक की ताजा सामुदायिक मानक अनुपालन रिपोर्ट में की गई है। यह रिपोर्ट साल 2021 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर तक की है। इस रिपोर्ट के अनुसार उसके प्लेटफॉर्म पर आने वाली हर 10 हजार में तीन सामग्री नफरत की होती है। वहीं हिंसा वाली सामग्री भी चार से पांच प्रति 10 हजार मिली हैं।
इस मामले में फेसबुक ने बताया कि उसने करीब 1.36 करोड़ ऐसी विवादास्पद सामग्री को अपने प्लेटफॉर्म से हटाया। जिनमें से महज 3.3 फीसदी की रिपोर्ट यूजर्स के जरिये मिली थी। वहीं शेष अन्य को फेसबुक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निगरानी सॉफ्टवेयर्स ने पकड़ा।
क्षेत्रीय जानकारी के अभाव में विवादास्पद सामग्री प्लेटफॉर्म पर आ रही है
इस रिपोर्ट को देखने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ तकनीकी कमियों और क्षेत्रीय जानकारी के अभाव में बड़ी संख्या में विवादास्पद सामग्री उसकी जानकारी के बिना प्लेटफॉर्म पर पड़ी रहती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि फेसबुक पर तीन महीनों में यूजर्स को 92 लाख बार धमकियां मिलने की बात सामने आयी है और करीब 92 लाख ही इस तरह की पोस्ट को फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म से हटाया भी है।
फेसबुक कुल 70 भाषाओं की निगरानी करता है
इस मामले में फेसबुक का कहना है कि वह आगामी 19 जनवरी से अपने प्लेटफॉर्म पर स्वास्थ्य, नस्ल, राजनीतिक झुकाव, धर्म या लैंगिक रुचि जैसे संवेदनशील विषयों को परिलक्षित करने वाले विज्ञापन नहीं देगा। जबकि वर्तमान में फेसबुक इन विषयों से जुड़े लोगों, संगठनों और इनसे जुड़े मुद्दों को परिलक्षित विज्ञापन देता है।
फेसबुक खुद के तय मानकों के उल्लंघन को पकड़ने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर कुल 70 भाषाओं की सामग्री का मूल्यांकन करता है। जिनमें से महज 5 भारतीय भाषाएं शामिल हैं।
जबकि फेसबुक पर कुल 160 भाषाओं में संप्रेषण किया जाता है। यही कारण है कि फेसबुक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निगरानी सॉफ्टवेयर्स का सिस्टम धमकी, नफरत और हिंसा की पोस्ट को पकड़ने में नाकाम हो जाता है।
इसे भी पढ़ें: फेसबुक बनता जा रहा है वर्चुअल कब्रिस्तान, हर रोज मर रहे हैं 8 हजार यूजर्स
Facebook Inc. मेटावर्स बनाने के लिए 10,000 नियुक्तियां करेगा, 50 मिलियन निवेश की योजना