चीन दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनाने के लिए विचार कर रहा है। यह सुरंग लगभग 1000 किलोमीटर का होगा। बताया जा रहा है कि यह सुरंग तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का रुख अपने सूखा ग्रस्त इलाके शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए बनाई जाएगी। इस सुरंग के लिए चीन के इंजीनियर इन दिनों एक ऐसी तकनीक बनाने में लगे हैं जिसके इस्तेमाल से वे ब्रह्मपुत्र का पानी अपने सूखा ग्रस्त इलाकों तक पहुंचा सकें।

जैसा कि चीन आए दिन भारत के लिए कोई न कोई मुसीबत खड़ा करता रहता है। वो चाहे डोकलाम विवाद हो या चीन की महत्वकांक्षी योजना में से एक OROB (वन रोड वन बेल्ट) हो। बता दें कि यह सुरंग भी भारत के लिए एक मुसीबत खड़ा कर सकती है। दरअसल, तिब्बत से निकलने वाली ये नदी भारत के पूर्वोत्तर से होते हुए बांग्लादेश में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। बताया जा रहा है कि चीन ये सुरंग बनाता है तो ब्रह्मपुत्र के बहाव में बदलाव आएगा जिसका नतीजा इस पर निर्भर बहुत से इलाकों में जल संकट हो सकता है।

खबरों के मुताबिक  इस कदम से ‘शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने’ की उम्मीद है। इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गई है क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र के रास्त में सुरंग बनाने की योजना उच्च स्तरीय अधिकारियों को दे दी गयी, जिन्हें मार्च 2018 तक अपनी राय देनी है। इस सुरंग के बनने से तिब्बत और पूर्वोत्तर भारत के पारिस्थितिकी को भी क्षति पहुंच सकती है। ये सुरंग चीन को काफी महंगी भी पड़ेगी। खबरों की मानें तो इस सुरंग को बनाने में 15 करोड़ डॉलर प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा। यानी पूरी सुरंग बनाने में करीब 150 अरब डॉलर खर्च होंगे।

माना जा रहा है कि इस सुरंग को बनाने के लिए 100 से अधिक चीनी वैज्ञानिक लगेंगे। चीन लंबे वक्त से भारत और बांग्लादेश को भरोसा दिलाता रहा है कि उसके द्वारा बांध बनाए जाने से इन देशों के पानी पर फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन पर्यावरणविद इसे हकीकत नहीं मानते। चीन की ये नई योजना कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि वह नदी के बीच में एक आईलैंड भी बनाना चाहता है जहां कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे साथ ही सुरंग संबंधी काम भी किया जाएगा।

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