हम अकसर कुछ दिनों के अंतराल के बाद ये खबर सुनते रहते हैं कि उत्तर कोरिया (North Korea) ने मिसाइल परिक्षण किया. उत्तर कोरिया द्वारा लगातार मिसाइल परिक्षण के चलते कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव तेजी से बढ़ रहा है, इन मिसाइल परीक्षणों के चलते ही दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान को इसके जवाब में संयुक्त सैन्य अभ्यास करना पड़ा.
उत्तर कोरिया (North Korea) ने पिछल हफ्ते 5 अक्टूबर को एक मिसाइल दागी जो जापान के ऊपर से होते हुए करीब 4,500 किलोमीटर (2,800 मील) की दूरी तय करने के बाद प्रशांत महासागर में गिरी. उत्तर कोरिया वैसे तो अपने हथियार कार्यक्रम के तहत नियमित रूप से मिसाइल परीक्षण करता रहता है लेकिन 2017 के बाद से पहला मौका है जब उसने जापान के ऊपर से मिसाइल दागी है.
कोरियाई प्रायद्वीप और युद्ध जैसे हालात
कोरिया संघर्ष की शुरूआत वर्ष 1910-1945 के बीच जापान द्वारा कोरिया पर किए गए कब्जे में छिपे हुए हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध में जब जापान को हरा दिया गया तब मित्र देशों (Allied Countries) की सेनाएं याल्टा सम्मेलन (1945) में “कोरिया पर चार-शक्ति ट्रस्टीशिप” स्थापित करने के लिये सहमत हुईं.
हालांकि USSR (सोवियत संघ) ने कोरिया पर आक्रमण कर उसके उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया वहीं, दक्षिणी क्षेत्र प्रमुख तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के पास रहा. दोनों क्षेत्रों (उत्तर और दक्षिण कोरिया) का विभाजन 38वें समानांतर के अनुरूप था, जो अभी भी दो कोरियाई देशों को विभाजित करने वाली आधिकारिक सीमा है.
साल 1948 में, कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया) और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) की स्थापना हुई. इसके बाद दोनों ने क्षेत्रीय और वैचारिक रूप से अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश की, इन कोशिशों के बीच ही दोनों देशों के मध्य ये संघर्ष उभरा.
तीन साल लंबा कोरियाई युद्ध
दो कोरिया के गठन के बाद 25 जून, 1950 को सोवियत संघ द्वारा समर्थित उत्तर कोरिया (North Korea) ने दक्षिण कोरिया पर हमला किया और देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया. इसके बदले में अमेरिका के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र बल ने जवाबी कार्रवाई की.
साल 1951 में डगलस मैकआर्थर के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने 38वीं समानांतर रेखा (उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा रेखा) को पार किया और उत्तर कोरिया के समर्थन से चीन में प्रवेश के अपने प्रयासों गति दी. इसके बाद में वर्ष 1951 में अमेरिका को आगे बढ़ने से रोकने के लिये शांति वार्ता शुरू हुई.
1950 के ही दशक से भारत सभी प्रमुख हितधारकों अमेरिका, सोवियत संघ और चीन को शामिल करके कोरियाई प्रायद्वीप में शांति वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहा. वर्ष 1952 में संयुक्त राष्ट्र (UN) में कोरिया पर भारतीय प्रस्ताव को अपनाया गया था.
तीन साल के युद्ध के बाद 27 जुलाई, 1953 को संयुक्त राष्ट्र कमान, कोरियाई पीपुल्स आर्मी और चीनी पीपुल्स वालंटियर आर्मी के मध्य कोरियाई युद्धविराम समझौता हुआ. इस समझौते ने शांति संधि (Peace Treaty) के बिना एक आधिकारिक युद्धविराम का नेतृत्व किया, लेकिन युद्ध आधिकारिक तौर पर कभी भी समाप्त नहीं हुआ.
समझौते में ‘कोरियाई असैन्यीकृत जोन’ (Korean Demilitarized Zone- DMZ) की स्थापना की गई. इससे उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बफर जोन बनाया गया है. वहीं दिसंबर 1991 में उत्तर और दक्षिण कोरिया ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें आक्रामकता से बचने के लिये दोनों देशों ने अपनी सहमति व्यक्त की.
लंबा है अमेरिका – उत्तर कोरिया का टकराव
शीत युद्ध (Cold War) के दौर में उत्तर कोरिया, रूस और चीन के छिपे समर्थन के सहारे अपने परमाणु कार्यक्रम में तेजी लेकर आया और परमाणु क्षमता विकसित की. वहीं उत्तर कोरिया ने साल 2003 में अप्रसार संधि (Treaty on the Non-Proliferation of Nuclear Weapons- NPT) से किनारा कर लिया और बाद में वर्तमान नेता किम जोंग-उन के तहत उसने परमाणु मिसाइल परीक्षण में लगातार बढ़ोतरी करता चला गया.
लगातार मिसाइल परिक्षणों के बीच साल 2017 में अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में मिसाइल रोधी THAAD (टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस) को तैनात किया.
दो देशों उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच शुरू हुआ क्षेत्रीय संघर्ष अमेरिका एवं उत्तर कोरिया के बीच रार में बदल गया. उत्तर कोरिया के साथ संबंध सुधारने के राजनयिक प्रयासों के फेल होने के बाद अमेरिका ने North Korea पर प्रतिबंध लगा दिए. हालांकि अपने 4 वर्ष के कार्यकाल (2017-2021) में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो बार उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन से मुलाकात की लेकिन कुछ ठोस नतीजा नहीं निकला.
उत्तर कोरिया की आक्रामकता
पिछले कुछ वर्षों से उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को लगातार बढ़ाया है इसेक अलावा वो अपने परमाणु कार्यक्रम को भी गति दे रहा है एवं कई बार परमाणु परीक्षण किया है.
उत्तर कोरिया ने हाल ही में केसोंग में 2018 में स्थापित किए गए अंतर-कोरियाई (Inter Korean) संपर्क कार्यालय को भी ध्वस्त कर दिया. केसोंग स्थित अंतर-कोरियाई संपर्क कार्यालय औपचारिक राजनयिक संबंधों के ना होने चलते एक वास्तविक दूतावास के रूप में कार्य करता था एवं दोनों देशों के लिये एक सीधा संचार चैनल प्रदान किया.
2022 में उत्तर कोरिया ने रिकॉर्ड संख्या में मिसाइल परीक्षण किये. इसने अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर एवं वर्ष 2017 के बाद अपना पहला परमाणु परीक्षण विस्फोट करके तनाव को और बढ़ा दिया है.
क्या है भारत की स्थिति?
भारत सरकरा द्वरा मई 2015 में दक्षिण कोरिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक साझेदारी’ में बदल दिया गया था. दक्षिण कोरिया की दक्षिणी नीति में भारत की एक अहम भूमिका है, जिसके तहत देश अपने वर्तमान क्षेत्र से परे संबंधों का विस्तार करना चाहता है.
इसी तरह दक्षिण कोरिया ‘भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में एक प्रमुख भागीदार है, जिसके तहत भारत का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है.
वहीं भारत के 47 वर्षों से अधिक समय से उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंध हैं, जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की विरासत को दर्शाता है. भारत का उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में दूतावास भी है.