बीजेपी को 2 सीटों से लेकर 182 तक पहुंचाने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार लालकृष्ण आडवाणी का आज जन्मदिन है। भाजपा के पितामह लाल कृष्ण आडवाणी 91 वर्ष के हो गए। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेउनके 91वें जन्मदिन के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में उनका बहुत बड़ा योगदान है।
Best wishes to Shri LK Advani Ji on his birthday. Advani Ji’s contribution towards India’s development is monumental. His ministerial tenures are applauded for futuristic decision making and people-friendly policies. His wisdom is admired across the political spectrum.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2018
प्रधानमंत्री मोदी ने टि्वटर पर यह भी लिखा, ‘‘भारत के विकास में आडवाणी जी का योगदान बहुत बड़ा है. मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल की प्रशंसा भविष्योन्मुखी निर्णय लेने और जनपक्षधर नीतियों के लिए की जाती है. उनकी विद्वता की प्रशंसा सभी राजनीतिज्ञ करते हैं.’’ बाद में प्रधानमंत्री मोदी उनके जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने आडवाणी आवास पहुंचे।
Went to Advani Ji’s residence and wished him on his birthday. pic.twitter.com/4We9Tp8Qui
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2018
8 नवंबर, 1927 को सिंधि हिंदू परिवार में कराची में उनका जन्म हुआ था। भारत-पाक विभाजन में भड़की हिंसा के दौरान पाकिस्तान से पलायन कर आने वाले लोगों में उनका परिवार भी शामिल था। उनका परिवार कराची से बॉम्बे आ गया था। वहीं उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की। इससे पहले की पूरी पढ़ाई उन्होंने कराची में ही की थी।
महज 14 साल की आयु में ही 1941 में लाल कृष्ण आडवाणी संघ से जुड़े थे और कराची में आरएसएस के लिए काम करने लगे। विभाजन के बाद भारत आने पर संघ ने उन्हें राजस्थान के अलवर में प्रचारक के तौर पर काम करने भेजा था।
1951 में आरएसएस की मदद से जनसंघ का गठन होने के बाद संघ के निर्देश पर वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ काम करने लगे थे। शुरुआती दिनों में वह जनसंघ नेता श्याम सुंदर भंडारी के सेक्रटरी के तौर पर काम करते थे, फिर उन्हें राजस्थान का महामंत्री बनाया गया।
1957 में वह जनसंघ के लिए काम करने दिल्ली आए थे। 1980 में जनसंघ भंग हो गया और बीजेपी बनी। 1989 में राम मंदिर आंदोलन को मजबूती देने वाली सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा आडवाणी ने ही निकाली थी।
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इसी का परिणाम था कि 1984 में महज 2 सीट जीतने वाली बीजेपी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में 86 सीटें जीतीं। यह पहला मौका था, जब बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते हुए भविष्य की राजनीति में एक और ध्रुव पैदा होने के संकेत दिए थे। यही वजह है कि अटल और आडवाणी को देश की राजनीति को एक ध्रुव से दो ध्रुवीय करने का श्रेय दिया जाता है।
फिलहाल वह बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर उन्हें भारतीय राजनीति पर छाप छोड़ने वाला बताया है। भारतीय जनता पार्टी में उनके कद्दावर कद की वजह से आज उन्हें जन्मदिन के खास अवसर पर बधाई देनेवालों का तांता लगा हुआ है।