राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी द्वारा आज जल संसाधन विभाग द्वारा सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सहयोग से सूचना भवन के संवाद कक्ष संबोधित किया गया। अपने संबोधन चौधरी ने बताया कि बिहार सरकार के सुझाव पर ही केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति कार्यान्वित हो रही है जिससे जल प्रबंधन एवं नियंत्रण के कारगर उपाय संभव हैं। आगे उन्होंने जल संसाधन विभाग की तमाम योजनाओं की जानकारी दी जो निम्नवत् हैः-
जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत नये जलश्रोतों का सूजन एवं अधिशेष (Surplus) नदी जल क्षेत्र से जल की कमी (Deficit) वाले क्षेत्रों में जल ले जानेवाली योजनाएँ:-
गंगाजल आपूर्ति योजनाः-
जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत गंगा जल आपूर्ति योजना का कार्यान्वयन रु० 4515.70 करोड़ की लागत से कराया गया है, जिससे राजगीर, गया, बोधगया तथा नवादा शहरों में सफलतापूर्वक निर्बाध घरेलू उपयोग हेतु जल आपूर्ति की जा रही है।
औरंगाबाद, डिहरी एवं सासाराम शहरों के लिए सोन नदी में उपलब्ध सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य, प्राक्कलित राशि रू० 1347.32 करोड की लागत से कराया जा रहा है।
इस योजना के अन्तर्गत इन्द्रपुरी बराज के डाउन स्ट्रीम में आवश्यक जल के भण्डारण हेतु वर्ष 1874 में निर्मित परित्यक्त एनीकट (वीयर) का आधुनिकीकरण किया जायेगा तथा इसकी सहायता से इन्द्रपुरी बराज के नीचे छोड़े जाने वाले अधिशेष जल का भण्डारण कर इसका उपयोग पेयजल के लिए किया जाएगा। इस योजना को दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
भभुआ एवं मोहनियाँ भाहरों के लिए सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य, प्राक्कलित राशि 198.58 करोड़ रूपये की लागत से कराने हेतु कार्रवाई की जा रही है। निविदा की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
“सात निश्चय-2” अन्तर्गत हर खेत तक सिंचाई का पानी की योजनाएँ:-
जल संसाधन विभाग के द्वारा मूल रूप से 604 योजनाओं को चयनित कर 1.19 लाख हे० सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरूद्ध 594 योजनाओं को पूर्ण कर 1.18 लाख हे० सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित किया गया है. जो अपने लक्ष्य का 99.52 प्रतिशत है। इसके अलावे हर खेत को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु अन्य योजनाओं को भी कार्यान्वित कराकर, जिसका कुल लक्ष्य 6.35 लाख हे० था, के विरूद्ध 4.88 लाख हे० पुर्नस्थापित किया गया है. जो अपने लक्ष्य का 77 प्रतिशत है।
वर्ष 2023-24 में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजनः-
राज्य में वृहद् एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से कुल सृजित हो सकने वाली क्षमता 53.53 लाख हे० के विरूद्ध मार्च, 2023 तक 37.3824 लाख हे० सिंचाई क्षतमा का सृजन हुआ था।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 2 लाख 17 हजार 3 सी 13 हे0 क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पुनस्र्थापित की गयी है। जब कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र 85 हजार 4 सी 35 हे0 में ही सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित की गई थी।
सारण मुख्य नहर का कि०मी० 0.00 से कि०मी० 17.00 तक पुनर्स्थापन एवं लाईनिंग कार्य, प्राक्कलित राशि 33349.00 लाख रूपये (तीन सौ तेत्तीस करोड़ उनचास लाख रुपये) :- इस नहर का उत्तर प्रदेश का भाग लाईन्ड है एवं बिहार में अवस्थित भाग अनलाईन्ड है. जिसके फलस्वरूप सारण मुख्य नहर के भशुरूआती भाग में अत्यधिक गाद जमा हो जाता है एवं रूपांकित जलश्राव 8530 क्यूसेक के विरूद्ध मात्र 3400 क्यूसेक जलश्राव ही प्रवाहित हो पाता है।
इस योजना के कार्यान्वयन के उपरांत सारण मुख्य नहर के 17.00 कि०मी० तक का भाग लाईन्ड हो सकेगा, जिससे नहर के भशुरूआती भाग में गाद की समस्या से निजात मिलेगी एवं नहर में प्रवाहित होने वाले जलश्रव में वृद्धि होगी। सारण मुख्य नहर में जलश्राव में वृद्धि होने के फलस्वरूप इस नहर के विभिन्न बिंदुओं से निःसृत नहरों के अंतिम छोर तक अच्छी सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इस योजना के कार्यान्वयन से गोपालगंज, सिवान एवं सारण जिला के कृशक लाभान्वित होंगे।
सोन नहर प्रणाली अंतर्गत पूर्वी लिंक नहर के 0.00 कि०मी० से 10.20 कि०मी० तक पुनर्स्थापन एवं लाईनिंग कार्य, प्राक्कलित राशि 235.2497 रूपये (दो सौ पैंतीस करोड़ चौबीस लाख संतानवे हजार रूपये) सोन नहर प्रणाली अंतर्गत पूर्वी लिंक नहर (कुल लम्बाई 10.20 कि०मी०) का पुनर्स्थापन एवं लाईनिंग कार्य किया जा रहा है, जिससे पटना मुख्य नहर एवं पूर्वी सोन उच्चस्तरीय नहर में आसानी से जलश्राव प्राप्त होगा, फलस्वरूप पूर्वी तरफ निर्मित वितरण प्रणालियों के अंतिम छोर तक जलश्राव प्रवाहित कराते हुए सिंचाई सुविधा सुनि िचत की जा सकेगी।
योजना के कार्यान्वयन से औरंगाबाद जिले के बारूण, औरंगाबाद, गोह, रफीगंज, ओबरा, दाउदनगर, हसपुरा प्रखण्ड, गया जिले के कोंच, टेकारी प्रखण्ड, अरवल जिले के कलेर, अरवल प्रखण्ड तथा पटना जिले के पालीगंज, दुल्हिनबाजार, नौबतपुर, बिहटा, बिक्रम प्रखण्डों में 1539 हेक्टेयर कृश्य कमाण्ड क्षेत्र का सृजन होगा।
केन्द्र सरकार के सहयोग से बिहार भू-भाग अंतर्गत उत्तर कोयल जलाशय योजना के अवश कार्य, प्राक्कलित राशि 1367.61 करोड़ रूपये (एक तीन सौ सड़सठ करोड़ एकसठ लाख रूपये)। • योजना के अधीन अवशेष कार्यों के कार्यान्वयन के साथ-साथ इसके आधुनिकीकरण का कार्य कराया जा रहा है, जिससे बिहार राज्य के 38801 हे० क्षेत्रफल में सिंचन क्षमता पुर्नस्थापित की जा सकेगी। इससे बिहार राज्य में उत्तर कोयल जलाशय योजना का सिंचन क्षमता 56720 हे० से बढ़कर 95521 हे० हो जायेगा।
तियरा पम्प हाउस का निर्माण एवं इसके वितरण प्रणाली का जीर्णोद्धार कार्य, प्राक्कलित राशि 56.53 करोड़ रूपये (छप्पन करोड़ तिरपन लाख रूपये):-
इस योजना का कार्यान्वयन कराकर कर्मनाशा नदी के जलश्राव को उद्घह (लिफ्ट) कराते हुए सोन नहर प्रणाली अन्तर्गत गारा चौबे शाखा नहर के अंतिम छोर में अवस्थित कैमूर जिला के नुआँव प्रखंड के तियरा, तरैथा, जुझाड़पुर, महरथा, कारीराम, अखनी, बरदा, अकोल्ही एवं चितावनपुर ग्रामों के 2065 हे० कृषि योग्य भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।
ढ़ड़हर पम्प हाउस एवं लिंक नहर का निर्माण कार्य, प्राक्कलित राशि 57. 71 करोड़ रूपये (सन्तावन करोड़ इकहत्तर लाख रूपये):-
इस योजना का कार्यान्वयन कराकर कर्मनाशा नदी के जलश्राव को उद्घह (लिफ्ट) कराते हुए दायें किनारे पर अवस्थित कैमूर जिला के दुर्गावती प्रखंड के ढड़हर पंचायत अंतर्गत ढड़हर, कानपुर, पीपरी, धनसराय, सखेलीपुर, भानपुर, कुरारी एवं बरूरी ग्रामों के 2716 हे० कृषि योग्य भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध जा रही है।
मृतप्राय नदियों / धारों का पुनर्डद्धार कार्य:-
इस योजना के अन्तर्गत कोसी नदी को मेची नदी से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस कार्य हेतु पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 0.00 कि०मी० से 41.30 कि०मी० तक रिमोडलिंग तथा 41.30 कि०मी० से 117.50 कि०मी० तक का विस्तारीकरण कार्य किया जाना है। योजना की अनुमानित लागत राशि 6282.32 करोड़ है।
कोसी मेची अन्तः राज्यीय लिंक योजनाः-
इस योजना से कोसी नदी का 2050.15 एम०सी०एम० सरप्लस वाटर सिंचाई कार्य हेतु पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 41.30 कि0मी0 से आगे 117.50 कि०मी० तक प्रवाहित करते हुए किशनगंज जिला अंतर्गत मेची नदी में जोड़ा जायेगा।
बागमती शांतिधार बूढ़ी गंडक लिंक योजना (प्राक्कलित राशि 120.96 करोड):- 425 क्यूमेक (15,000 क्यूसेक) जलश्राव के लिए रूपांकण के अनुसार तथा सुरक्षात्मक कार्य सहित शांतिधार के माउथ पर घोघराहा ग्राम के निकट सोरमारहाट हायाघाट तटबंध पर एक अदद् एण्टी फ्लड स्लूईस का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
गंडक अकाली नाला (छाड़ी) गंडकी माही गंगा नदी जोड़ योजनाः-
गंडक अकाली नाला (छाड़ी) गंडकी माही गंगा नदी जोड़ योजना गंडक नदी को गंगा नदी से जोड़ने के प्राथमिक उद्देश्य हेतु प्रस्तावित है, जिसके अन्तर्गत गंडक नदी के अधिशेष जल को छाड़ी नदी गंडकी नदी/माही नदी के माध्यम से गंगा नदी में प्रवाहित किया जायेगा।
छाड़ी नदी (आकाली नाला) गोपालगंज जिला के गोपालगंज सदर प्रखण्ड के हीरापाकड़ ग्राम के पास गंडक नदी से उद्गमित होकर गंडकी एवं माही नदी के माध्यम से सारण जिला के सोनपुर प्रखण्ड के अन्तर्गत हासिलपुर ग्राम के समीप गंगा नदी में समाहित हो जाती है। गंडक नदी के अधिशेष जल को हीरापाकड़ छरकी पर प्रस्तावित 04 (चार) मेन्ट के एन्टी फ्लड के माध्यम से छाड़ी नदी में प्रवाहित किया जायेगा, जिससे 170 कि०मी० की लम्बाई में मृत नदियों का पुनर्डद्वार हो सकेगा। इसे जनवरी, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है। योजना के कार्यान्वयन से गोपालगंज, सिवान एवं सारण जिला को बाढ़ से सुरक्षा एवं जल निकासी संभव हो सकेगा।
महत्वपूर्ण स्थलों को कटाव से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु कार्य:-
बेगूसराय जिला के बरौनी प्रखण्ड अन्तर्गत सिमरिया धाम में गंगा नदी के बायें तट पर सीढ़ी घाट निर्माण एवं सौंदर्गीकरण योजना (प्राक्कलित राशि-114.9739 करोड):- वर्तमान में अवस्थित रेल-सह-सड़क पुल तथा निर्माणाधीन छः लेन सड़क पुल के बीच 550 मीटर की लम्बाई में न्यून्तम जल स्तर (एल० डब्लू०एल०) से प्रारम्भ करके उच्चतर बाढ़ स्तर (एच०एफ०एल०) से 01 मीटर उपर तक रूपांकण के अनुसार पक्का सुरक्षात्मक कार्य कराया जा रहा है। इसे नवम्बर, 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है।
इसके अतिरिक्त उक्त स्थल पर रिभर फ्रंट विकास कार्य, गंगा आरती हेतु विनिर्दिष्ट स्थल, स्नान घाट एवं चेंजिंग रूम, घाट के समानांतर स्नान हेतु सुरक्षा व्यवस्था, धार्मिक अनुष्ठान हेतु मंडप निर्माण, शेडेड कैनोपी, वाच टावर, श्रद्धालुओं हेतु बैठने की व्यवस्था एवं लैंडस्केपिंग, शौचालय परिसर, धर्मशाला परिसर, पाथ-वे एवं प्रकाशीय व्यवस्था की जा रही है।
गंगा चैनल के दायें तट पर सीढ़ी घाट के निकट पक्का सुरक्षात्मक एवं कटाव निरोधक कार्य (प्राक्कलित राशि-56.06 करोड):-
पटना जिला के बख्तियारपुर प्रखंड अन्तर्गत गंगा चैनल के दायें तट पर सीढ़ी घाट के निकट पक्का सुरक्षात्मक कार्य एवं कटाव निरोधक कार्य 56.06 करोड़ रू० की लागत से कराया जा रहा है। इस कार्य में कुल 2100 मीटर की लम्बाई में पाथ-वे एवं वॉकिंग ट्रैक के निर्माण कराया जाना है। इसे जून, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है।
इस कार्य के कार्यान्वयन से गंगा नदी में अत्यधिक जलश्राव के दौरान इस स्थल पर कटाव की संभावना को रोका जा सकेगा एवं बख्तियारपुर शहर को बाढ़ से अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी। साथ ही विभिन्न पर्व-त्योहारों एवं धार्मिक अनुष्ठानों के अवसर पर श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी।
बाढ सुरक्षात्मक कार्यः-
कमला बलान बायाँ तटबंध एवं दायों तटबंध का उच्चीकरण, सुदृढीकरण एवं पक्कीकरण का कार्य फेज-2 (प्राक्कलित राशि-296.89 करोड) इस योजना के कार्यान्वयन से मधुबनी जिलान्तर्गत मधेपुर प्रखंड एवं दरभंगा जिलान्तर्गत किरतपुर प्रखंड, घनश्यामपुर प्रखंड तथा गौड़ा बौराम प्रखंड के लगभग 12.00 लाख की आबादी तथा लगभग 0.568 लाख हेक्टेयर भूमि एवं जन सम्पदा को बाढ़ के दुष्प्रभावों से राहत मिल सकेगी। इसे नवम्बर, 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है। तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढीकरण एवं पक्कीकरण कार्य से बाँध का मजबूतीकरण हो सकेगा तथा बाढ़ अवधि में तटबंधों का निरीक्षण एवं बाढ संघर्षात्मक सामग्रियों के परिचलन में सुविधा होगी ।
पश्चिमी चम्पारण के मसान नदी के मसान नदी के बायें एवं दायें तटबंध और सम्बद्ध कार्य (प्राक्कलित राशि रू० 214.96 करोड़) :-
पश्चिमी चम्पारण जिलान्तर्गत कुल रू० 21496.00 लाख (दो सौ चौदह करोड़ छियानवे लाख) की लागत से मसान नदी के बायें एवं दायें तटबंध और सम्बद्ध कार्य कराने का प्रावधान किया गया है। इसे दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है। इस योजना के कार्यान्वयन से मसान नदी के दोनों तरफ पूरी लम्बाई में तटबंध निर्माण से पश्चिम चम्पारण जिला के रामनगर, लौरिया, बगहा 01 प्रखंडों के लगभग 2,67,000 की आबादी एवं 78 हजार हेक्टेयर भूमि को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी। साथ ही बाढ़ से होने वाले जान-माल के नुकसान को रोका जा सकेगा।
सिकरहना दायाँ तटबंध निर्माण कार्य (कि०मी० 0.00 से कि०मी० 56.22) (प्राक्कलित राशि रू० 239.63 करोड़):-
सिकरहना / बूढ़ी गंडक के आस-पास के क्षेत्रों को बाढ़ से बचाव हेतु सिकरहना नदी के दायें किनारे पर कुल रू० 239.63 करोड़ की लागत से नये नये तटबंध की कुल लम्बाई 56.22 कि०मी० नये तटबंध निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है।
इस योजना के तहत सिकरहना नदी के दायें बाँध पश्चिमी चम्पारण जिला के चनपटिया प्रखंड से पूर्वी चम्पारण जिला के मोतिहारी सदर प्रखंड के कटहाँ स्थल तक एवं बायें बाँध पश्चिमी चम्पारण जिला के चनपटिया प्रखंड से पूर्वी चम्पारण के बंजरिया प्रखंड के नजदीक तिलावे सिकरहना नदी के मिलन बिन्दु के अपस्ट्रीम तक का निर्माण कराया जायेगा। इसे दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है।
इस कार्य के कार्यान्वयन से पश्चिमी चम्पारण जिला के चनपटिया, मझौलिया एवं बेतिया प्रखंडों तथा पूर्वी चम्पारण के रामगढवा, सुगौली, बनजरिया एवं मोतिहारी सदर प्रखंडों के कुल 0.69 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल एवं 2.35 लाख लोगों को बाढ़ से सुरक्षा के साथ साथ आवागमन की सुविधा मिलेगी।
सारण तटबंध के कि०मी० 80.00 से कि०गी० 120.28 के बीच पुनस्र्थापन कार्य के साथ तटबंध के शीर्ष पर बिटुमिनस सड़क निर्माण कार्य (प्राक्कलित राशि रू0 124.11 करोड़)-
सारण तटबंध के कि०मी० 80.00 से कि०मी० 120.28 के बीच पुनर्स्थापन कार्य के साथ तटबंध के शीर्ष पर बिटुमिनस सडक निर्माण कार्य (प्राक्कलित राशि रू० 124.11 करोड़) के अंतर्गत सारण तटबंध का कुल 40.28 कि०मी० की लम्बाई में पुनर्स्थापन एवं पक्कीकरण किया जाना है।
योजनान्तर्गत तटबंध पुनर्स्थापन एवं पक्कीकरण कार्य से तटबंध को सुदृढ़ता मिलेगी, जिससे बाढ़ अवधि के दौरान अत्यधिक जलश्राव की स्थिति में कटाव / टूटान से सुरक्षा मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त प्रस्तावित भाग में अवस्थित अतिसंवेदनशील छरकी/बाँध पर बाढ़ अवधि के दौरान बेहतर पर्यवेक्षण एवं बाढ़ संघर्षात्मक सामग्रियों की ढुलाई शीघ्र एवं सुगमता से हो सकेगी। उक्त योजना के कार्यान्वयन से गोपालगंज जिला के बरौली, सिधवलिया एवं बैकुण्ठपुर प्रखंडों को लाभ मिल सकेगा। इसे दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है।
राज्य अंतर्गत बाढ़ न्यूनीकरण एवं सिंचाई हेतु घोषित किये गये वित्तीय सहायता से संबंधित प्रतिवेदनः-
केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रस्तुत बजट भाषण में राज्य अंतर्गत बाढ़ न्यूनीकरण एवं सिंचाई परियोजनाओं यथा बराज निर्माण और अन्य नई एवं चालू योजनाओं के लिए रू0 11,500 करोड की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है।
बराज / डैम योजनाओं अंतर्गत उत्तर बिहार में गंडक नदी के अरेराज स्थल पर बराज, मसान नदी पर डैम/बराज, बागमती नदी के बेंग और कटौंझा स्थल पर बराज, कमला नहर प्रणाली का उन्नयन, कोसी नदी के डगमारा स्थल पर बराज, महानंदा नदी के तैयबपुर स्थल पर बराज एवं दक्षिण बिहार में सोन नदी पर इंद्रपुरी डैम, अवसाने नदी पर डैम, सकरी नदी पर बकसोती बराज और नाटा वियर का बराज में परिवर्तन जैसी योजनाएँ सम्मिलित है।
वहीं नदी जोड योजनाओं में कमला-पुरानी कमला जीवछ कमला, बूढ़ी गंडक नून-बया-गंगा, कोसी (बागमती) गंगा, बागमती बूढ़ी गंडक (बेलवाधार), गंडक अकालीनाला (छारी) गंडकी-माही गंगा, बागमती शांतिधर बूढ़ी गंडक, कोसी-मेची जैसी योजनाएँ सम्मिलित है।
उपर्युक्त के अतिरिक्त मानसून अवधि में गंगा के अधिशेष जल का हस्तांतरण जमूई. लखीसराय एवं मुंगेर स्थित जलाशयों मोरवे, बासकुंड, आंजन, गरही और जालकुंड में किए जाने की योजना को सम्मिलित किया गया है ताकि इन योजनाओं से सिंचाई का अधिकतम लाभ लिया जा सके।
विश्व बैंक द्वारा प्राप्त ऋण से प्रस्तावित Bihar Water Security and Irrigation modernization project (BWSIMP), प्रस्तावित राशि 4415 करोड़ रूपये (चौवालीस सौ पन्द्रह करोड़ रूपये) :-
प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य संस्थागत क्षमता के निर्माण द्वारा प्रभावी सिंचाई प्रबंधन एवं विकास तथा कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण करना, प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन द्वारा आपदा एवं आपातकालीन स्थिति में की जानेवाली तैयारी और प्रतिक्रिया की क्षमता में वृद्धि करना एवं परिणामी आर्थिक और सामाजिक कल्याण को अधिकतम करने हेतु हितधारकों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना है।
इस परियोजना के अन्तर्गत कुशल सिंचाई प्रबंधन हेतु बॉधों एवं बैराजों का पुनर्वास एवं आधुनिकीकरण, पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी सिंचाई योजना का पुनर्वास एवं आधुनिकीकरण, सारण मुख्य नहर का पुर्नस्थापन एवं लाईनिंग, दक्षिणी बिहार की पंचाने सिंचाई योजना का नवीकरण, फल्गु जलवार लिंक चैनल योजना, सोन पश्चिमी मुख्य नहर का आधुनिकीकरण इत्यादि का कार्य कराया जाना है।
इस परियोजना के अन्तर्गत प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन हेतु गंगा/बागमती / कोसी / गंडक के संवेदनशील रीचों में नवीनतम तकनीक से बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य, सुदृढीकरण एवं पक्कीकरण का कार्य किया जाना है।
इस परियोजना के अन्तर्गत संस्थागत सृदृढ़ीकरण एवं क्षमता निर्माण हेतु बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केन्द्र, गणितीय प्रतिमान केन्द्र, वाल्मी एवं अन्य विभागीय संस्थानों का विकास एवं सुदृढ़ीकरण, डैम, बराज, वीयर, नहर प्रणालियों में स्काडा (SCADA) का अधिष्ठापन, RTDAS का सुदृढीकरण एवं विस्तार एवं पूर्वानुमान और प्रतिक्रिया प्रणाली की क्षमता बढ़ाना इत्यादि कार्य किया जाना है।
बाढ़ की विभीषिका से नदी के तटबंधों को बचाने हेतु बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य योजनाएँ:-
बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल (94.16 लाख हे०) का 73.06 प्रतिशत हिस्सा (68.80 लाख हे०) बाढ़ प्रवण है। बिहार राज्य के कुल 38 जिलों में से 29 जिले बाढ़ प्रवण की श्रेणी में आते है। बिहार राज्य में बाढ़ की विभिषिका का मुख्य कारण अंतराष्ट्रीय / अंतर्राज्यीय सीमाओं से आने वाली नदियाँ है। जल संसाधन विभाग, बिहार द्वारा राज्य के बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में समुचित जल प्रबंधन तथा अनुवर्ती बाढ़ की विभिषिका से क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जाता रहा है।
बाढ़ से सुरक्षा के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग द्वारा प्रत्येक आगामी बाढ़ अवधि के पूर्व संवेदनशील स्थलों के सुरक्षार्थ कटाव निरोधक / बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों का कार्यान्वयन समयबद्ध रूप से कराया जाता है।
बाढ़ अवधि 2024 के पूर्व गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान, कोशी, महानंदा, गंगा आदि नदी बेसिन में 221 स्थलों पर कुल रू० 696.26 करोड़ की लागत से कटाव निरोधक कार्य कराये गये हैं, जो वर्तमान बाढ़ अवधि में प्रभावी रहे है।
बाढ अवधि 2024 के दौरान गंडक नदी पर अवस्थित वाल्मीकिनगर बराज से दिनांक-07.07. 2024 को 4,40,750 क्यूसेक का अधिकतम जलश्रय सुरक्षित रूप से प्रवाहित हुआ है। साथ ही केन्द्रीय जल आयोग के बगहा गेज स्टेशन पर दिनांक 08.07.2024 को नया उच्चतम जलस्तर “90.48 मी०” स्थापित हुआ।
इसी प्रकार कोशी नदी पर अवस्थित वीरपुर बराज से दिनांक 07.07.2024 को 3.93,715 क्यूसेक का अधिकतम जलश्राव सुरक्षित रूप से प्रवाहित हुआ है।
दक्षिण बिहार में दिनांक-05.08.2024 को सोन नदी पर निर्मित इंद्रपुरी बराज से 521694 क्यूसेक, दिनांक-03.08.2024 को फल्गु नदी पर निर्मित उदेशस्थान बराज से 68628 क्यूसेक तथा दिनांक-03.08.2024 को उतर कोयल नदी पर निर्मित मोहम्मदगंज बराज से 221640 क्यूसेक का अधिकतम जलश्राव सुरक्षित रूप से प्रवाहित हुआ है।
इस मार्गदर्शिका का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण कार्य में लगे सभी विभागीय पदाधिकारियों / अभियंताओं जिला पदाधिकारियों को जल संसाधन विभाग द्वारा लिये गये निर्णय, नियमों एवं अनुदेशों को संकलित रूप से उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें कर्तव्यों एवं दायित्वों के निर्वहन में सहुलियत हो सके।
बाढ नियंत्रण कोषांग के अंतर्गत सहायता केन्द्र (Help Desk) का अधिष्ठापन किया गया है. जिसके तहत प्रतिदिन 24 घंटे टॉल फ्री नं0-18003456145 कार्यरत है।