Manish Sisodia: दिल्ली के डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की होली अब तिहाड़ जेल में होगी।सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सिसोदिया को 2 दिन की रिमांड के बाद आज यानी 6 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया था।दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एक सप्ताह से सीबीआई की हिरासत में हैं।मनीष सिसोदिया अभी तक कुल 7 दिन की रिमांड पर रह चुके हैं।
सिसोदिया को न्यायिक हिरासत में भेजने के साथ ही कोर्ट ने उन्हें जेल में भगवतगीता, पेन और डायरी देने के आग्रह को स्वीकार करते हुए इसकी इजाजत दे दी।इसके अलावा सिसोदिया ने कोर्ट से जेल में विपश्यना की इजाजत देने की मांग करते हुए कहा कि जेल में कैदियों के लिए विपश्यना की व्यवस्था होती है।कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जेल में विपश्यना की अनुमति भी दी।
Manish Sisodia: सीबीआई के वकील ने लगाया आरोप
Manish Sisodia: जानकारी के अनुसार कोर्ट के अंदर सीबीआई के वकील ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि इनके आचरण से गवाह भी डर रहे हैं।उन्हें डराया जा रहा है, इसका सिसोदिया ने कड़ा विरोध किया।कोर्ट ने मनीष के मेडिकल चेकअप का भी आदेश दिया। दूसरी तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी कार्यालय के बाहर भारी तादाद में पुलिस बल और फोर्स की तैनाती कर दी गई है।
उधर, मनीष सिसोदिया को न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद तिहाड़ जेल में हाई लेवल की मीटिंग हुई।यह मीटिंग मनीष सिसोदिया को किस जेल में रखना है उसको लेकर की गई।
Manish Sisodia: 4 मार्च तक सीबीआई रिमांड पर भेजा था
Manish Sisodia: 27 फरवरी को राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को 4 मार्च तक के लिए सीबीआई की रिमांड में भेजा था, ताकि उनसे पूछताछ हो सके। सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी बेल अर्जी डाली थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने उस पर सुनवाई करने से मना कर दिया था। सिसोदिया को शनिवार यानी 4 मार्च को अदालत में पेश किया गया था।कोर्ट ने उन्हें दो और दिन की हिरासत में भेज दिया था।
जानिए क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली के शराब घोटाले केस में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला 2021 में पेश की गई दिल्ली की नई शराब ब्रिकी नीति से संबंधित है। केजरीवाल सरकार ने साल 2021 में शराब बिक्री में बदलाव किया था।जिसमें घोटाला होने का आरोप है, यही घोटाला विवाद बढ़ता चला गया था। जिसे रद्द भी कर दिया गया था।नीति में सरकार का शराब बेचने से कोई लेना-देना नहीं था।केवल निजी दुकानों से ही इसे बेचने की अनुमति थी।इसका मुख्य उद्देश्य शराब की कालाबाजारी को रोकना था।
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