
Manipur Violence: मणिपुर हिंसा के दौरान बहुत ही शर्मनाक खबर सामने आई है। दरअसल, मणिपुर में दो महिलाओं को बिना कपड़ों के परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आया है। जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया है। वीडियो सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। बता दें कि चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि अन्य पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है। इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी नेताओं ने सरकार पर हमला बोला है।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसकी निंदा करते हुए सरकार पर कई सवाल भी खड़े किये हैं। इस शर्मनाक घटना का मुद्दा को विपक्ष मॉनसून सत्र के दौरान संसद में जोरशोर से उठाने की तैयारी में है। बता दें इससे पहले भी विपक्ष कई बार मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर सवाल उठा चुका है। अब ताजा वीडियो सामने आने के बाद पूरा विपक्ष भड़क गया है और कांग्रेस, आप और टीएमसी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने घटना की कड़ी निंदा की है।

उधर, केंद्र भी संसद में इस मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी घटना को पूरी तरह से अमानवीय करार दिया है और इस बारे में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से भी बात की है। सीएम ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में सख्त एक्शन लेंगे और दोषियों को सजा दिलाएंगे।

Manipur Violence पर क्या बोले आदित्य ठाकरे?
आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मणिपुर से एक महिला को बिना कपड़ों के घुमाने की भयानक तस्वीरें आ रही हैं’। क्या इस तरह के कृत्यों को सहन करना और मणिपुर में इस भयानक हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करना भी मानवीय है? शर्मनाक है कि कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह अकल्पनीय है कि दोनों महिलाओं को क्या झेलना पड़ा होगा। इससे भी अधिक शर्मनाक तथ्य यह है कि जो लोग हिंसा और ऐसे अमानवीय कृत्यों का सामना कर रहे हैं। वे सरकारी हस्तक्षेप की उम्मीद नहीं कर सकते, जो कि बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। ये एक राष्ट्रीय शर्म है।

Manipur Violence पर विपक्ष का सरकार पर हमलाबोल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब इस पूर्वोत्तर राज्य में भारत की अवधारणा पर हमला किया जा रहा है तो विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (INDIA) चुप नहीं रहेगा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी घटना की निंदा की है और कहा कि समाज में हिंसा का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है। उन्होंने आगे सरकार से सवाल किया कि केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंदकर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?

वहीं, कुमार विश्वास ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, “कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है? कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?’ एक और कांग्रेस नेता अलका लांबा ने भी घटना पर प्रतिक्रिया दी है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी सवाल किया है, “आप एक महिला होकर कैसे चुप रह कर यह सब देखती रह सकती हैं? बेटियों के साथ अन्याय हो रहा है।” इनके अलावा, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए ट्वीट किया है, जिनमें प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों पर को लेकर भी तंज किया गया है।
Manipur मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग
इस घटना के बाद विपक्ष मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार और पार्टी दोनों ही मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई घटना से नाराज हैं, इस बीच मुख्यमंत्री से इस्तीफा भी मांगा जा सकता है। वहीं, सीएम बीरेन सिंह ने भी घटना की कड़ी निंदा की है और आश्वानस दिया कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जो भी लोग इसमें शामिल थे उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। इससे पहले 30 मई को मणिपुर में हिंसात्मक घटनाओं के चलते मुख्यमंत्री ने इस्तीफे का एलान किया था, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। बताया जा रहा है कि ताजा वीडियो 4 मई का है।

Manipur Violence: कब सामने आया ये वीडियो?
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फॉरम’ (आईटीएलएफ) के गुरूवार को प्रस्तावित मार्च से एक दिन पहले यह वीडियो सामने आया है। आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं और उनसे मन्नतें कर रही हैं। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। प्रवक्ता ने ‘घृणित कृत्य’ की निंदा करते हुए एक बयान में मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अपराध का संज्ञान लें और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करें।
कुकी-ज़ो आदिवासी गुरूवार को चुरचांदपुर में प्रस्तावित विरोध मार्च के दौरान इस मुद्दे को भी उठाने की योजना बना रहे हैं। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। तब से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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