Maharashtra Karnataka Border Issue: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद का मामला तूल पकड़ने लगा है। हाल ही में इसे लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोगों में झड़प भी हुई थी। सीमा विवाद का यह मामला कोर्ट में है। इसी बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता व सांसद संजय राउत का बयान आया है। उन्होंने कहा है “जैसे देश में चीन घुसा है वैसे ही हम कर्नाटक में घुसेंगे।” राउत के इस बयान पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
Maharashtra Karnataka Border Issue: किसी की अनुमति की नहीं है जरूरत-संजय राउत
सीमा विवाद मुद्दे पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बढ़ते तनाव के बीच, शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को यह कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया, “हम कर्नाटक में प्रवेश करेंगे जैसे चीन देश में प्रवेश कर गया है।” पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “जैसे चीन घुसा है, हम (कर्नाटक) में घुसेंगे। हमें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है।” राउत ने आगे कहै कि हम इसे चर्चा के जरिए सुलझाना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं। महाराष्ट्र में कमजोर सरकार है और कोई स्टैंड नहीं ले रही है।
आपको बता दें कि दशकों पुराने सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बढ़े तनाव के समय शिवसेना नेता का यह बयान आया है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है।
विधानसभा में भी उठा सीमा विवाद का मुद्दा
दरअसल, महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को इस मुद्दे पर आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है। विपक्ष ने महाराष्ट्र विधानसभा के चल रहे शीतकालीन सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया। विपक्ष के नेता अजीत पवार ने पिछले दिनों विधानसभा में सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और कहा, ”महाराष्ट्र के एक लोकसभा सदस्य को बेलगाम में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। वहां जाने से रोका, तो वहां के कलेक्टर ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं?”
वहीं, पवार के इस सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “देश के गृह मंत्री ने पहली बार सीमा विवाद में मध्यस्थता की, उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है, हमने सीमा निवासियों का पक्ष उनके सामने रखा है।” सीएम ने आगे कहा कि अब सीमा विवाद पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हमें सीमावासियों के साथ मिलकर खड़ा होना चाहिए। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री शिंदे की टिप्पणी का समर्थन किया और कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी।
1956 से है महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कार्यान्वयन के समय से चला आ रहा है। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग की थी। इसके बाद दोनों राज्यों की ओर से चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य रूप से कन्नड़ भाषी 260 गांवों को स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन कर्नाटक द्वारा प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था। बाद में दोनों सरकारों ने इस सीमा विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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