Habibganj Railway Station का नाम होगा रानी कमलापति, महल हो चुका है खंडहर

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Rani Kamlapati Palace
Rani Kamlapati Palace

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में स्थित विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज (Habibganj Railway Station) से बदलकर भोपाल की आखिरी हिंदू रानी कमलापति (Rani Kamlapati) के नाम पर कर दिया गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाम की आज अधिकारिक तौर पर घोषणा करेंगे। पीएम मोदी आदिवासियों के देवता या फिर कह लें उनके हकों की लड़ाई लड़ने वाले बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को जम्बूरी मैदान में संबोधित करेंगे। साथ ही नए नामकरण वाले रेलवे स्टेशन का उद्घाटन भी करेंगे।

17वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण

स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर तो कर दिया गया है। पर रानी की जो असल धरोहर है, उनकी याद है। वह अब पूरी तरह से खंडहर हो चुकी है। हम बात कर रहे हैं रानी कमलापति महल की जिसे गोड़ रानी कमलापति ने 17वीं शताब्दी में झील के किनारे बनवाया था। लाहौरी ईंटों से झील के पास बना यह महल गर्मी में भी बारिश का आनंद देता था।

इतिहास के पन्नों में पटलकर देखा जाए तो महल वहां पर है और नहीं भी है। कहीं बयां किया गया है कि महल पानी में डूब गया है तो कहीं कहा गया है कि महल  की दीवारें बची हैं। इतिहास कहता है कि रानी ने मोहम्मद खां की गंदी नजर से बचने के लिए महल को डूबो दिया था और खुद जन समाधि ले ली थी। इस महल को रानी कमलापति महल भी कहा जाता है और कमलापति पार्क भी कहा जाता है।

कई बार बदल चुका है नाम

रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज का रेलवे स्टेशन अब जाना जाएगा। पर रानी कमलापति की जो असल धरोहर है उसे सरकार बचा नहीं पाई। आने वाले समय में रानी का नाम रेलवे स्टेश के जंग लगे बोर्ड पर दिखाई जरूर देगा पर रानी के महल की ईंट वहां पर नहीं होगी।

समय बीतने के साथ रानी कमलापति के महल का नाम भी कई बार बदला। कभी इसे भोजपाल का महल तो कभी जहाज महल भी कहा जाता था। इसकी कारण यह है कि राजा भोज के कार्यकाल 1010 से 1055 ईसवी में निर्मित बड़ी झील के बांध के ऊपर इसे बनाया गया है।

रानी का इतिहास

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ के राजा निजाम शाह की पत्नी और 18वीं शताब्दी की रानी थी। निजाम शाह गौड़ सूरज सिंह के पुत्र थे। निजाम शाह की 7 पत्नियां थी उसी में से रानी कमलापति थीं। यह काफी बहादुर और साहसी थीं। रानी ने बहादुरी के साथ अपने पूरे शासन काल में आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था। रानी की बहादुरी को बनाए रखने और इतिहास में उनके योगदान को ध्यान में रखने के लए रेलवे स्टेशन का नाम रानी के नाम पर रखा गया है।

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