
Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर की आज यानी मंगलवार को सीबीआई जांच करेगी। गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 4 की पंजाब नेशनल बैंक में जाकर CBI बैंक सॉकर की जांच करेगी। इस दौरान मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी भी साथ रहेंगीं। सीबीआई के अधिकारी डिप्टी सीएम के सामने ही उनके लॉकर को खोलेंगे।

बता दें कि दिल्ली की चर्चित शराब नीति में तथाकथित गड़बड़ी के कारण सीबीआई इसकी जांच कर रही है। इस जांच के कारण सियासत भी काफी गर्म है। सीबीआई ने इससे पहले अगस्त में ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के आवास पर छापेमारी की थी। इतना ही नहीं सीबीआई ने इस मामले में पूर्व एक्साइज कमिश्नर अरावा गोपी कृष्णना के आवास समेत 7 राज्यों के 21 ठिकानों पर रेड डाली थी।
Delhi Liquor Policy Case: मनीष सिसोदिया ने किया ट्वीट
सीबीआई जांच पर मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कर कहा है कि कल CBI हमारा बैंक लॉकर देखने आ रही है। 19 अगस्त को मेरे घर पर 14 घंटे की रेड में कुछ नहीं मिला था। लॉकर में भी कुछ नहीं मिलेगा। CBI का स्वागत है। जांच में मेरा और मेरे परिवार का पूरा सहयोग रहेगा।
वहीं, बीजेपी इस मामले में AAP सरकार को घेरने में लगी हुई है। बीजेपी मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन के इस्तीफे के लिए अड़ गई है। बीजेपी आरोप लगा रही है कि केजरीवाल सरकार में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है, इसमें ये दो मंत्री भी शामिल हैं।
Delhi Liquor Policy Case: LG ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है।
Delhi Liquor Policy Case: क्यों सवालों में है शराब नीति?

बता दें कि केजरीवाल सरकार की लायी नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं। इसके जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप है। लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गई। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया। आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नई नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लायी गई।
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