Chattisgarh News: दंतेवाड़ा पहुंचे कलेक्टर दीपक सोनी ने रविवार को कहा कि आगामी 9 मार्च से 19 मार्च तक होने वाले फागुन मड़ई इस वर्ष भव्य तरीके से मनाया जाएगा। इस बाबत मंदिर कमिटी की मीटिंग हुई। इसमें फैसला लिया गया कि पिछले कुछ साल कोविड (Corona) की वजह से फागुन मंडई (Fagun Madai) उस तरह से नहीं मनाई जा सकी, जैसे परंपरागत तौर से हमेशा मनाई जाती रही है।इस वर्ष कोविड के नियम के साथ सभी रीति रिवाजों का पालन तो किया ही जाएगा, साथ ही कार्यक्रम में पूर्व समय की भांति भव्यता रहे, इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
Chattisgarh News: व्यवस्था रहेगी चाक-चौबंद
इस दौरान Chattisgarh में सभी व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी। इस खबर से भक्तों में निश्चित ही उत्साह का माहौल देखने को मिलेगा क्योंकि लंबे समय से भक्त इस भव्य आयोजन का इंतजार कर रहे थे। इस अवसर पर दूर दूर से पदयात्री भी मां दंतेश्वरी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। उन्हें भी इस बार कई सुविधाएं मिल पाएंगीं । भक्तों को यहां किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसका पूरा-पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ ही मंदिर परिसर के अंदर सफाई, सेनीटाइजेशन के साथ मास्क पहनकर प्रवेश करने एवं अन्य प्रोटोकोल का कड़ाई के साथ पालन किया जाएगा।
Chattisgarh News: देवी सती के दांत गिरने से बना मां दंतेश्वरी मंदिर
छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में दुनिया का 52वां शक्ति पीठ स्थित है। इस पीठ की गिनती देश की शक्तिशाली पीठ से एक प्राचीन कथा जुड़ी है। ऐसा माना जाता है, कि यहां देवी के सती के दांत गिरे होने से ही शक्ति पीठ का नाम मां दंतेश्वरी पड़ा।
यहां के पुजारियों के अनुसार सतयुग में राजा दक्ष ने जब अपने यहां यज्ञ का आयोजन कराया, तो उन्होंने भगवान शंकर को इसमें आमंत्रित नहीं किया। इस पर भगवान शंकर क्रोधित हुए और तांडव नृत्य किया। सती राजा दक्ष की पुत्री थीं, उन्होंने अपने पति के इस अपमान से दुखी होकर अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूदकर आहुति दे दी। जब भगवान शंकर को इस बारे में पता चला तो वह सती का शव अपनी गोद में लेकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने लगे।
भगवान शिव के इस क्रोधित रूप से प्रलय की आशंका को देखते हुए भगवान विष्णु ने चक्र चलाया और देवी सती के शव को खंडित कर दिया। इस दौरान जिन-जिन स्थलों पर सती के अवशेष गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई। उनमें से दंतेवाड़ा एक है। कहा जाता है कि यहां सती के दांत गिरे थे। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां असीम कृपा करतीं हैं।
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