Bihar News: देश में सरकार और सरकारी अस्पतालों का नाम कितना खराब है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। सरकारी अस्पतालों की लापरवाही और कोमा में पड़े अस्पतालों की तस्वीर समय समय पर जनता के सामने आती रहती है। अब एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे सुनने के बाद लोग सरकार के मुफ्त इलाज वाले योजना से दूरी बना लेंगे। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई वाले बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का आलम यह है कि हाथ में मां अपने मृत बेटे को लेकर इलाज की भीख मांगती है, पिता को बेटे की लाश ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलती है। उसी बिहार से आंख कांड का मामला सामने आया है।
बिहार में का बा? लापरवाही वाला इलाज बा
बिहार के मुजफ्फरपुर में आई अस्पताल में 65 लोगों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था जिसमें से 16 लोगों की आंख निकालनी पड़ी। इन सभी पीड़ितों के आंखों में संक्रमण फैल गया था। जानकारी के अनुसार मरीजों की संख्या और भी बढ़ सकती है। 29 नवंबर को कुछ पीड़ित अस्पताल के बाहर जमा हो गए और हंगामा करने लगे तभी मामला मीडिया में आया और अब बिहार में बहार बा काहें कि नीतीश सरकार बा, का नारा देने वाली सरकार एक बार कटघरे में खड़ी है। इतनी बड़ी घटना सुनने के बाद कह सकते हैं कि बिहार में का बा? लापरवाही वाला इलाज बा
पीड़ितों के हंगामे के बाद सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने ACMO के नेतृत्व में जांच टीम का गठन कर तीन दिनों में जाच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश जारी किया। 16 लोगों की आंख की रौशनी चली गई है। अब कोई भी कार्यवाही क्यों न करें पर इन सभी के जीवन से अंधेरा जीवन के साथ ही खत्म होगा।
महंगा पड़ा सस्ता इलाज
डॉक्टर की लापरवाही के चलते 16 लोगों का जीवन चौपट हो गया। एक पीड़ित ने बताया कि पिता जी के इलाज के लिए 30रु का टोकन लिया था और 50 रु की दवा ली थी। परिजनों को नहीं पता था कि यह सस्ता इलाज जीवन भर के लिए कितना महंगा पड़ने वाला है।
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