Bihar News: बिहार के नालंदा से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां एक शख्स 40 साल तक घर में रहा और करोंड़ो की संपत्ति बेच डाली। शख्स के खिलाफ संपत्ति और विरासत की लंबी लड़ाई लड़ने के करीब 40 साल बाद फैसला आया है। कोर्ट ने शख्स को नकली बेटे बनने का दोषी पाया और उसे जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नालंदा जिले के एक धनी जमींदार का 16 साल का बेटा लापता हो जाता है जिसके बाद एक शख्स धन और जमीन के लालच में उनका बेटा बन कर रहने लगता है। धोखाधड़ी के इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और 40 साल बाद उसे जेल भेजने का फैसला सुनाया।
Bihar News: आखिर क्या था पूरा मामला
यह घटना नालंदा जिले के सिलाव थाना क्षेत्र के मोरगांव की है। मामला गांव के लगभग 150 बीघा जमीन के मालिक दिवंगत कामेश्वर सिंह की संपत्ति से जुड़ा है। कहानी में उस वक्त मोड़ आया जब इनका इकलौता बेटा कन्हैया सिंह मैट्रिक की परीक्षा देने के दौरान कहीं खो गया।
यह घटना 1977 में हुई थी। गुमशुदगी की रिपोर्ट परिवार ने थाने में दर्ज कराई, लेकिन 4 साल बीतने के बाद भी इकलौता बेटा नहीं लौटा। दुखी होकर पिता डिप्रेशन में चले गए। गांव के ही डॉक्टरों के पास जाने के दौरान गांव के एक जादूगर ने उन्हें बताया कि उनका बेटा जिंदा है और कुछ सालों बाद वापस आएगा।
Bihar News: साधु बनकर लौटा बहरूपिया कन्हैया
साल 1981 में पड़ोसी गांव केशोपुर में एक युवा साधु आया जो गा गा कर खुदकी कहानी बता रहा था। युवक पूरे गांव में लोकप्रिय हो गया। वह गाना गा कर खुदको लापता कन्हैया बताता रहा। उस समय पिता कामेश्वर जिंदा थे। युवक की बातों पर कामेश्वर सिंह को भरोसा हो गया और वो उसे अपने घर ले आए।
हालांकि उनकी दिवंगत पत्नी रामसखी देवी ने उसे अपना बेटा मानने से इंकार कर दिया, लेकिन ग्रामीणों के दबाव की वजह से वे चुप रह गई। दयानंद गोसाईं इकलौते वारिस कन्हैया सिंह के रूप में घर रहने लगा, लेकिन मां रामसखी देवी उसे कन्हैया नहीं मानती रही और लगातार उस पर अविश्वास करती रहीं।
आखिरकार नवंबर, 1981 में जब उनका धैर्य जवाब दे गया तो उन्होंने दयानंद के खिलाफ सिलाव थाने में मामला दर्ज करा दिया। नवंबर, 1991 में पटना जिला न्यायालय में टाइटल सूट हुआ। इसी बीच 1995 में कामेश्वर सिंह और उनकी पत्नी रामसखी देवी की मृत्यु हो गई।
Bihar News: मां के बाद बेटी ने जंग रखी जारी
माता-पिता की मौत के बाद आगे की कानूनी लड़ाई गुम कन्हैया सिंह की बहन विद्या देवी ने जारी रखी। उनके वकील राजेश कुमार का मानना है कि यह सब कुछ जमीन-जायदाद हड़पने से जुड़ा है। वकील का कहना था कि “कामेश्वर सिंह के घर में लगभग चार दशक रहने के दौरान दयानंद ने करीब 50-55 बीघा जमीन को बेच दिया। उसे पाइप लाइन बिछने का मुआवजा भी मिला। शादी भी की।”
मामला कन्हैया की अपनी मां ने दर्ज कराया था। उसकी मां ने अपनी गवाही में बयान दिया था कि कन्हैया के सिर पर चोट का निशान था जो दयानंद के सिर पर नहीं था, साथ ही वो डीएनए टेस्ट के लिए भी तैयार नहीं हुआ।
Bihar News: 41 साल बाद सच का हुआ पर्दाफाश
जिला अदालत से यह मामला पटना उच्च न्यायालय होते हुए सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इस मामले की फिर से सुनवाई शुरू हुई।
मामला सुनने के बाद नालंदा ज़िला न्यायालय ने दयानंद गोसाईं को जालसाज करार देते हुए तीन साल कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।
वहीं नालंदा के जिला अभियोजन पदाधिकारी राजेश कुमार पाठक बताते हैं, “2014 से ही अभियोजन की ओर से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की गई जिसपर 2022 में अदालत को लिखित रूप से आवेदन देकर टेस्ट कराने से इंकार कर दिया। साथ ही अभियुक्त यह भी नहीं बता सका कि 1977 से 1981 के बीच वह कहां रह रहा था।”
फैसले पर दिवंगत कामेश्वर सिंह की बेटी विद्या देवी ने कहा, “जिनको खुशी होती वो तो चले गए। मां की इच्छा थी कि इस मामले का पर्दाफाश हो। सच को लाने का प्रयास हमने किया और नतीजा सबके सामने है। हमें किसी प्रकार का कोई लोभ नहीं है।”
उधर अदालत के फैसले के बाद दयानंद गोसाईं ने स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “यह सब संपत्ति के लिए किया जा रहा है। बहनों की नजर संपत्ति पर है इसलिए ऐसा किया गया है।”
फिलहाल अब आरोपी जेल की सालाखों के पीछे है। इतने सालों बाद इस केस में आए फैसले के कारण अब ये खबर प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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