
Bihar good samaritan scheme: पटना, 04 जून 2025 — सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मदद करने वाले आम नागरिकों को अब “गुड सेमेरिटन” का दर्जा मिल रहा है। ऐसे मददगारों को बिहार की राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाता है, ताकि सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैले और लोग घायलों को मदद पहुंचाने में हिचकिचाएं नहीं।
84 गुड सेमेरिटन हुए सम्मानित, मोतिहारी सबसे आगे
इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर राज्यभर से चुने गए 84 गुड सेमेरिटन को नकद राशि, प्रमाण पत्र, मोमेंटो और शॉल के साथ सम्मानित किया गया। इन सभी ने सड़क हादसों में घायलों को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।
इस सूची में सबसे आगे रहा पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) जिला, जहां से 19 नागरिकों को सम्मान मिला। इसके बाद अरवल जिले से 8, और अररिया, मधुबनी, समस्तीपुर तथा वैशाली से 4-4 लोगों को सम्मानित किया गया।
2015 से चल रही है यह योजना
“गुड सेमेरिटन” योजना की शुरुआत मई 2015 में केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद बिहार में भी लागू की गई। इसका मकसद है कि दुर्घटना स्थल पर मौजूद आम लोग घायलों की मदद के लिए आगे आएं, बिना किसी कानूनी डर या झंझट के।
ऐसे की जाती है पहचान
गुड सेमेरिटन की पहचान मुख्यतः दो तरीकों से होती है:
- अस्पताल द्वारा जारी की गई रसीद – जिसमें घायल को भर्ती कराने वाले का नाम और विवरण दर्ज होता है।
- पुलिस द्वारा जारी पावती – जिसमें मदद करने वाले व्यक्ति का नाम, पता, मोबाइल नंबर, घटना की तिथि और समय आदि का उल्लेख होता है।
इन दस्तावेजों को जिला मूल्यांकन समिति को भेजा जाता है, जो अंतिम चयन करती है।
समिति करती है चयन
जिला स्तरीय समिति में जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी और जिला परिवहन पदाधिकारी शामिल होते हैं, जो पावती रसीदों के आधार पर पात्र नागरिकों का चयन करते हैं।
जानिए क्या है ‘गोल्डन ऑवर’ की भूमिका
सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए शुरुआती एक घंटे को “गोल्डन ऑवर” कहा जाता है। इस दौरान समय रहते चिकित्सा सुविधा मिल जाए तो जान बच सकती है। सरकार की यह योजना लोगों को प्रोत्साहित करती है कि वे बिना डरे इस स्वर्णिम समय में घायल की मदद करें।