Bihar Board 10th Exam 2023: बिहार बोर्ड 12वीं की परीक्षा कराने के बाद 10वीं यानी मैट्रिक की परीक्षा करा रहा है। प्रदेश में 10वीं बोर्ड की परीक्षा 14 फरवरी से शुरू हो चुकी है। पहले दिन यानी मंगलवार को गणित का एग्जाम था वहीं, दूसरे दिन 15 फरवरी को विज्ञान की परीक्षा थी। मैट्रिक की परीक्षा दे रही बिहार की रुक्मिणी सभी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। रुक्मिणी की कहानी कुछ ऐसी है कि लोग इनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। प्रसव पीड़ा भी रुक्मिणी के हिम्मत को नहीं हरा पाई और मां बनने के कुछ दी घंटे बाद वह अपनी दसवीं की विज्ञान की परीक्षा देने एंबुलेंस से परीक्षा केंद्र पहुंच गईं।

Bihar Board 10th Exam 2023:बांका जिले के सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं रुक्मिणी
बिहार में 10वीं बोर्ड की परीक्षा जारी है। लगभग प्रदेश के 16 लाख परीक्षार्थी इस बार मैट्रिक की परीक्षा में दे रहे हैं। इन्ही में से एक हैं बांका की सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 22 वर्षीय रुक्मिणी। मिली जानकारी के अनुसार, बांका की रुक्मिणी को विज्ञान की परीक्षा के दिन सुबह में प्रसव पीड़ा हुई। उसके बाद उन्हें अस्पताल में ले जाया गया, जहां रुक्मिणी ने बच्चे को जन्म दिया।
प्रसव के बाद उन्हें डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी। कई बार घर वालों ने भी आराम करने को कहा, लेकिन रुक्मिणी ने किसी के बातों को प्रवाह किए बिना मां बनने के तीन घंटे बाद ही विज्ञान की परीक्षा देने के लिए परीक्षा केंद्र पर पहुंच गईं। वह जब एंबुलेंस से परीक्षा देने पहुंची तो सभी हैरान दिखे। वहीं, जब लोगों को पता चला कि मां बनने के कुछ घंटे बाद रुक्मिणी बोर्ड की अपनी परीक्षा देने पहुंची तो लोगों ने उनके जज्बे और हिम्मत को सलाम किया।
रुक्मिणी सभी के लिए बन गई हैं प्रेरणा- शिक्षा अधिकारी
रुक्मिणी के इस हिम्मत और जज्बे को उनके जिले के शिक्षा अधिकारी ने भी सलाम किया है। जिला के डीईओ पवन कुमार ने कहा, “इस घटना से साबित होता है कि महिलाओं की शिक्षा पर सरकार का जोर पकड़ रहा है। अनुसूचित जाति से आने वाली रुक्मिणी सभी के लिए प्रेरणा बन गई हैं।”
आपको बता दें कि बिहार बोर्ड 10वीं की परीक्षा 14 फरवरी से दो पालियों में हो रही है। यह परीक्षा 22 फरवरी 2023 तक आयोजित की गई है। इसके लिए बिहार में 15 सौ परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। वहीं, इस परीक्षा में प्रदेश के 16 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, परीक्षार्थियों को जूते-मोजे पहनकर परीक्षा केंद्र में जाने की इजाजत नहीं है। वे चप्पल पहनकर ही परीक्षा दे रहे हैं। कड़ी तलाशी के बीच छात्रों को बिना जूता-मोजा पहने परीक्षा केंद्र में जाने की इजाजत के पीछे नकल को रोकना बताया जा रहा है।
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