केरल, पंजाब, राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला चौथा राज्या बन गया है। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए जनविरोधी है, इस कानून को फौरन निरस्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ”तुच्छ मतभेदों को दूर रखने और देश को बचाने के लिए एकजुट होने का वक्त आ गया है।” ममता ने आगे कहा कि दिल्ली में एनपीआर बैठक में शामिल नहीं होने की बंगाल के पास कुव्वत है, यदि बीजेपी चाहे तो मेरी सरकार बर्खास्त कर सकती है।
सीएए के खिलाफ प्रस्ताव में केंद्र सरकार से सीएए को रद्द करने, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की योजनाओं को निरस्त करने की अपील की गई है।
बता दें पश्चिम बंगाल से पहले केरल में 31 दिसंबर को, पंजाब में 17 जनवरी को और राजस्थान में 25 जनवरी को विधानसभा से CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुका है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को संसद के दोनों सदनों में पास करा लिया गया है। उसके बाद इसके ऊपर राष्ट्रपति की भी मुहर लग चुकी है। उसके बाद से लगातार इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है।
नागरिकता कानून में पड़ोसी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे प्रताड़ित हिन्दू, सिख, ईसाई और पारसी को नागरिकता देने का प्रावधान इस कानून में है जबकि मुस्लिमों को इससे अलग रखा गया है।