देश के पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान (Rajasthan) के पूर्व मुख्यमंत्री Bhairon Singh Shekhawat की आज जयंती है। उनके जन्मदिन के अवसर पर कद्दावर नेता को याद करते हुए कई लोगों ने नमन किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उन्हें याद करते हुए Twitter पर लिखा कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत जी की जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
राजस्थान का एकमात्र शेर भैरव सिंह शेखावत
पूर्व मुख्यमंत्री भैरव सिंह शेखावत को ”राजस्थान का एकमात्र शेर” (The only lion of Rajasthan) और “बाबोसा” (राजस्थान के परिवार का मुखिया) जैसे उपनामाें से बुलाया जाता था। उन्होंने 1952 में राजनीति में प्रवेश किया था। 1952 में वह रामगढ़ से पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद वो 1957 में श्री माधोपुर से, 1962 और 1967 में किसान पोल से विधायक रहे। लगातार चार चुनावों में जीत के बाद 1972 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1973 में वे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से राज्यसभा के लिए चुने गए। 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था।
3 बार मुख्यमंत्री रहे
वे पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री 22 June 1977 से लेकर 16 February 1980 तक रहे, इसके बाद उन्होंने दूसरी बार 1990 से 1992 तक और तीसरी बार 1993 से 1998 तक राज्य का नेतृत्व किया। वह 3 बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने वाले एकमात्र गैर-कांग्रेसी राजनेता रहे। वह भाजपा पार्टी की ओर से भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे।
सती प्रथा के खिलाफ कदम उठाया
राजस्थान का एकमात्र शेर कहे जाने वाले शेखावत ने सती प्रथा को राजस्थान से हटाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सती प्रथा की बात करें तो यह मुख्य रूप से राजपूत समुदाय की संस्कृति का हिस्सा थी। 1987 में जब एक 18 साल की लड़की रूप कंवर (Roop Kanwar) को सती के रूप में जलाया गया था, तब बहुत विवाद हुआ था। इसके बाद उन्होंने अपने वोटबैंक की परवाह न करते हुए इस प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था।
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