बिहार:- बिहार के Shashi Shekhar एक ऐसे खिलाड़ी है, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बिहार क्रिकेट में अपना नाम कमाया है। शशि शेखर ने बिहार के बाहर भी अपनी अलग पहचान बनाई। शशि शेखर का जन्म 15 जनवरी 1990 को जहानाबाद में हुआ। छोटे उम्र में उनको गेंद और बल्ले से बहुत लगाव हो गया था। उसी लगाव के कारण ही शशि शेखर बिहार क्रिकेट टीम के नियमित सदस्य बन गए।
Shashi Shekhar का शुरुआती करियर
शशि शेखर ने अपने क्रिकेट करियर का शुरुआत जहानाबाद से किया था। शुरू में उन्होंने खुद से अभ्यास करना शुरू किया। उसके बाद उनकी मुलाकात पटना के कोच प्रवीण सिन्हा से हुई, जिसके बाद उन्होंने प्रवीण सिन्हा के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया। प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें कई टूर्नामेंट खेलने के ऑफर आने लगे। साल 2008 में शशि ने जहानाबाद के तरफ से हेमन ट्रॉफी खेला। हेमन ट्रॉफी में शशि ने शानदार प्रदर्शन किया।

उसके बाद 2008-09 में डॉ. ज़ाकिर हुसैन अंडर-22 के प्रतियोगिता में 8 विकेट चटकाए। 2009 में उन्होंने श्यामल सिन्हा टूर्नामेंट खेला। उसके बाद 2010 में महाराणा प्रताप सिंह क्रिकेट प्रतियोगिता में मैन ऑफ द सीरीज, और 2011 में विराट नगर के क्रिकेट प्रतियोगिता में बेस्ट बॉलर का पुरस्कार दिया गया। बेस्ट बॉलर का पुरस्कार पाने के बाद 2011 में ही उन्हें सरदार पटेल द्वारा आयोजित शिक्षा एवं खेल सम्मान के पुरस्कार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्रा ने दिया।
खेल सम्मान मिलने के बाद Shashi Shekhar क्रिकेट की बारीकियों को सीखने के कर्नाटक के रुख किया
2010-11 में खेल सम्मान मिलने के बाद शशि ने क्रिकेट की बारीकियों को सीखने के लिए बैंगलोर चले गए। 2012 में उन्होंने हेरॉन्श क्रिकेट क्लब में के मुरलीधर के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया। उसके अगले साल ही 2013 में शशि को बैंगलोर ए डिवीज़न लीग खेलने का ऑफर राहुल द्रविड़ के टीम से मिला। 2013 के ए डिवीज़न लीग में वो दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। कर्नाटक ए डिवीज़न लीग के 9 मैचों में 28 विकेट अपने नाम किया। इस लीग में शशि ने दो मैचों में लगातार 2 बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी कर चुके है।

उसके बाद कर्नाटक लीग के एकदिवसीय फॉर्मेट में शशि ने 4 मैचों में 15 विकेट लेकर सुर्खियों में आ गए। कर्नाटक के अल्लुर 3 के स्टेडियम में खेले गए लीग के एकदिवसीय मुकाबले में शशि ने एक मैच में 31 रन देकर 8 विकेट अपने नाम किए। शशि के इस शानदार प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक सीनियर टीम के चयनकर्ता डोग्गा गणेश भी मौजूद थे। सीनियर टीम के चयनकर्ता शशि के गेंदबाजी से काफी प्रभावित हो गए थे। जिसके बाद उन्हें कर्नाटक के रणजी ट्रॉफी कैम्प के लिए चयन किया गया। हालांकि उन्हें टीम में चयन नहीं किया गया। क्योंकि उस समय कर्नाटक के टीम में विनय कुमार, मिथुन और स्टुअर्ट बिन्नी जैसे गेंदबाज हुआ करते थे।
कर्नाटक प्रीमियर लीग में Shashi Shekhar को खेलने का मिला मौका

रणजी ट्रॉफी कैम्प करने के बाद उन्हें कर्नाटक प्रीमियर लीग में खेलने का मौका मिला। कर्नाटक प्रीमियर लीग 2013-14 के सीजन में मैसूर वारियर्स की टीम में चयन किया गया। इस टीम की कप्तानी भारतीय टीम के खिलाड़ी मनीष पांडे कर रहे थे। उस सीजन शशि को खेलने का मौका नहीं मिला। 2015 में फिर उन्हें हुबली टाइगर्स की टीम में चयन किया गया। इस टीम के कप्तान केएल राहुल थे। जो अभी मौजूदा समय में भारत उपकप्तान हैं। इस टीम में भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली के दोस्त कुणाल कपूर भी थे। इस सीजन में शशि नेट्स के दौरान ही चोटिल हो गए थे। इस कारण से उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला।

उसके अगले सीजन 2016 में उनका चयन मंगलोर यूनाइटेड में किया गया। इस टीम के कप्तान करुण नायर थे। करुण नायर ने टेस्ट क्रिकेट में सहवाग के बाद तिहरा शतक लगाने वाले भारत के दूसरे बल्लेबाज बने थे। इस बार शशि को खेलने का मौका मिला था, लेकिन टीम लीग राउंड से ही बाहर हो गयी थी। शशि शेखर ने 2013-2017 तक बैंगलोर ए डिवीज़न लीग खेला। इस दौरान उन्होंने एक शतक भी लगाया और दो सीजन में दो बार 8 विकेट, और 6 बार 5 विकेट लेकर एक कृतिमान हासिल किया था।
कर्नाटक में Shashi Shekhar ने मनीष पांडे, केएल राहुल के अलावा भी बहुत भारतीय क्रिकेटर के साथ खेले
बैंगलोर में रहते हुए शशि ने आईपीएल कैम्प में कई बल्लेबाज़ों को अपनी गेंदों से प्रभावित किया। इनमे भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, न्यूज़ीलैंड के प्रमुख दिग्गज बल्लेबाज शामिल है। शशि ने नेट्स में क्रिस गेल, विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, केएल राहुल, मनीष पांडे, शेन वॉटसन, डेविड वार्नर, स्टीव स्मिथ, माइक हसी, पोलार्ड, रोहित शर्मा, अंबाती रायडू, युवराज सिंह और कई अन्य खिलाड़ियों को गेंदबाजी करके अपनी अलग पहचान बनाई थी। इसके अलावा भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ वेंकटेश प्रसाद शशि से बहुत प्रभावित हुए।
उस समय राहुल द्रविड़ इंडिया ए एवं अंडर-19 के कोच हुआ करते थे। अभी राहुल द्रविड़ भारतीय सीनियर टीम को कोचिंग दे रहे हैं। राहुल द्रविड़ उस समय शशि से बहुत प्रभावित हो गए थे। उसके बाद बीयूसीसी के मैनेजर एवं अंतरराष्ट्रीय निर्णायक साबिर तारापोर ने शशि शेखर को अपने टीम से लीग खेलने का ऑफर किया, जिस टीम के अध्यक्ष राहुल द्रविड़ थे।
जसप्रीत बुमराह के तरह ही इनका गेंदबाजी एक्शन भी अलग है
क्रिकेट में लोगों को अधिकतर सिंपल एक्शन वाले गेंदबाज पसंद आते है। लेकिन बुमराह के भारतीय टीम में शामिल होने के बाद सब कुछ बदलने लगा। पहले अनऑर्थोडॉक्स गेंदबाज को पसंद नहीं किया जाता था या कहें तो वो तवज्जों नहीं दी जाती थी। इनका गेंदबाजी एक्शन का स्टाइल बिल्कुल अलग है जो इन्हें खास बनाता हैं।
Shashi Shekhar 2018 में बिहार वापस लौट आए

2017 में उन्हें लगा कि कर्नाटक के तरफ से खेलने का मौका नहीं मिलेगा तो वो 2018 में बिहार आ गए। उनके बिहार आने के बाद बिहार को पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त हो गया। पहले बिहार को पूर्ण रूप के मान्यता प्राप्त नहीं था। लेकिन सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनते ही सारे एसोसिएट स्टेट को मान्यता दे दी गयी। 2018 में उन्हें ट्रायल में बाहर कर दिया गया था।

उसके बाद जब कोच प्रवीण सिन्हा को पता चला की शशि फिर से बिहार आ गए हैं तो उन्होंने तुरंत शशि को कॉल करके बेगूसराय से लीग खेलने का ऑफर किया। कर्नाटक में बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने के बाद शशि का प्रदर्शन पहले से कहीं और निखर गया। उन्होंने बेगूसराय लीग खेलते हुए कुल 26 विकेट अपने नाम किए।
26 विकेट में 18 तो उन्होंने सेमीफाइनल और फाइनल में ही ले लिए। इस प्रदर्शन के बाद उनका चयन हेमन ट्रॉफी सीनियर डिस्ट्रिक्ट टीम में हुआ। हेमन ट्रॉफी में उन्होंने अपना प्रदर्शन जारी राखऔर हेमन ट्रॉफी में 10 विकेट अपने नाम किए। उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2019-20 में बिहार सीनियर क्रिकेट टीम में चयन किया गया।
2020-21 में इनकों टीम के तरफ से मौका नहीं दिया। गलतफहमी के कारण उन्हें उस सीजन में मौका नहीं मिला। किसी पदाधिकारी के कारण उन्हें इग्नोर कर दिया या बोर्ड और पदाधिकारी में वो ताल मेल नहीं बना जिसका खामियाजा इन्हें उठाना पड़ा और एक सीजन इन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा।
बिहार में पहली बार बिहार क्रिकेट लीग का हुआ था आयोजन
उसके बाद साल 2021 में बिहार में पहले बार बिहार क्रिकेट लीग का आयोजन किया गया था। इस लीग में भी शुरू में उन्हें अनदेखा किया जा रहा था। लेकिन कहते हैं ना कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती ये कहावत शशि शेखर पर एकदम सटीक बैठती है। इस लीग में उन्हें भागलपुर बुल्स के तरफ से खेलने का मौका मिला। उसके बाद उन्होंने इस टूर्नामेंट में बेस्ट गेंदबाज बनकर आलोचकों की बोलती बंद कर दी। डॉ दयाल फाउंडेशन के तरफ से उन्हें एक साल स्पॉन्सरशिप दिया गया।

बिहार क्रिकेट लीग खत्म होने के बाद उन्हें इस बार भी अनदेखा किया जा रहा था। सयैद मुश्ताक अली ट्रॉफी में तो शशि को मौका भी नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि जब 65 खिलाड़ियों की सूची जारी हुई तब उनका नाम था उसका बाद जब 60 खिलाड़ियों की सूची जारी की गई तो इनका नाम ही नहीं था। इनके अलावा बिहार के स्टार बल्लेबाज रहमतुल्लाह को भी इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया था।
विजय हजारे ट्रॉफी का ट्रायल लेने भारत के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा बिहार आए हुए थे। उनके साथ अभय कुरुविल्ला को बिहार भेजा गया। लिस्ट में नाम नहीं होने के कारण पहले तो चेतन शर्मा ने ट्रायल लेने से मना कर दिया था लेकिन बाद में वो ट्रायल के लिए राजी हो गए और ट्रायल के दौरान शशि ने ऐसी गेंदबाजी की कि चेतन शर्मा हैरान रह गए।
शशि ने मात्र 3 गेंद ही डाला था कि उनका चयन फिर से बिहार के टीम में हो गया। उसके बाद चेतन शर्मा ने सेलेक्टर्स को फटकार लगाई और साफ तौर पर कह दिया मुझे ये लड़का टीम में चाहिए। कुछ ऐसे हुई थी शशि की टीम में वापसी।
मुंबई इंडियंस की टीम ने ट्रायल के बुलाया
विजय हज़ारे ट्रॉफी में शानदार गेंदबाजी का ईनाम भी उन्हें मिला। विजय हज़ारे में 3 मैचों में 6 विकेट लेने के बाद उन्हें मुंबई इंडियंस के कैम्प से ट्रायल के लिए बुलावा आया। मुंबई इंडियंस के ट्रायल मैच उन्होंने 2 ओवर में 2 विकेट चटकाए। उसके बाद कोरोना ने दस्तक दे दी। पर उन्होंने कहा है कि ऐसी संभावना है कि जब भी अगला राउंड का ट्रायल होगा तो उन्हें बुलाया जा सकता है।
Shashi Shekhar का फर्स्ट क्लास, लिस्ट ए और टी20 करियर

शशि शेखर का करियर ज्यादा बड़ा अभी तक नहीं रहा है पर वो अपने टीम के किफायती गेंदबाज साबित हुए है। शशि शेखर ने अभी तक मात्र 2 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेले हैं और मात्र 1 ही सफलता प्राप्त किए है। वहीं लिस्ट ए में 6 मुकाबलों में 7 विकेट प्राप्त किए है और 3 टी20 मैच में 3 विकेट हासिल किए हैं। तेज गेंदबाज को जिनते मौके मिले उन्हें भुनाते हुए वो बिहार के प्रमुख तेज़ गेंदबाज बन गए है। उन्होंने में विजय हज़ारे, फिर मुस्ताक अली, और रणजी ट्रॉफी में खूब सुर्खियां बटोरीं।
(लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट सहित अन्य मुद्दों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। इन्होंने पत्रकारिता के साथ-साथ खेल के मैदान पर भी नाम कमाया है।)