21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में देश की बेटियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। एक और किसान की बेटी ने देश का नाम रोशन किया है। कॉमनवेल्थ खेलों के चौथे दिन वेटलिफ्टर बनारस की पूनम यादव ने 69 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत की झोली में पांचवां स्वर्ण पदक डाला। पूनम ने रविवार को कुल 222 (स्नैच और क्लीन एंड जर्क किलोग्राम) वजन उठाया लेकिन उनका यह सफर इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने काफी मुश्किलें उठाई हैं।

परिवा को सोना पड़ता था भूखा
एक वक्त ऐसा भी था जब गरीबी की वजह से पूनम के परिवार को भूखे भी रहना पड़ता था।  बेटी के खेलने पर लोग ताने देते थे,  लेकिन पूनम के पिता कैलाश यादव का कहना है कि उन्होंने बेटा और बेटी में कभी फर्क नहीं किया। उन्होंने हमेशा अपनी बेटी की परवरिश बेटे की तरह ही की। पूनम को हर वो सुविधा मुहैया कराई जो उसके आगे बढ़ने के लिए जरूरी थी। हालांकि उनकी गरीबी हर वक्त रास्ता रोकने के लिए तैयार खड़ी थी।poonam

कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के 7 लाख का लिया कर्ज

घर और खेतों का सारा कामकाज करते हुए भी पूनम ने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। गरीबी के चलते उसे पूरी डाइट भी नहीं मिल पाती थी। पूनम की लगन को देखकर एक स्थानीय समाजसेवी ने उनकी मदद की और करीब 20 हजार रुपए महीना खर्च दिया। बावजूद इस मदद के, ग्लासगो कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के लिए पूनम के पिता को अपनी भैंस भी बेचना पड़ी और करीबियों से 7 लाख रुपए उधार भी लिए। लेकिन बेटी के खेल में रुकावट नहीं आने दी। 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम  ब्रॉन्ज मेडल लाकर पूनम ने भी सबका सपना पूरा कर दिया।

मिठाई के भी नहीं थे पैसे

2014 ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स में जब पूमन ने ब्रॉन्ज मेडल जीता तो परिवार  के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मिठाई बांट सके। तब पूनम के पिता ने कहीं से पैसों का इंतजाम किया तब जाकर घर और आस पड़ोस में मिठाई बांटी जा सकी थी।sfd

जो तकदीर में था वो मिला
पूनम ने कहा, ‘मुझे फीफी से अच्छी चुनौती मिलने की उम्मीद थी, इंग्लैंड से नहीं। सारा ने जब आखिरी लिफ्ट में 128 किलो वजन उठाने का फैसला किया तो मैं नर्वस थी, क्योंकि वह उठा सकती थी।’ पूनम ने कहा, ‘लेकिन यह किस्मत की बात है। मुझे वह मिला जो मेरी तकदीर में था और उसे वह जो उसकी तकदीर में था। शुक्र है कि कुछ देर के लिये हमारे फिजियो को आने दिया गया, जिन्होंने मेरे घुटने पर पट्टी लगाई। मुझे वहां दर्द हो रहा था।’

रेलवे कर्मचारी है पूनम
पूनम ने कहा, ‘मेरे पिता ने मेरे प्रशिक्षण के लिये कर्ज लिया था। मैने पदक जीतने के बाद वह चुका दिया। वह घर में पूजा पाठ करते हैं और मेरी मां गृहिणी हैं। मैं और मेरी बहन ही घर चलाते हैं। मैं भारतीय रेलवे में कर्मचारी हूं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here