K D jhadhav Google Doodle: भारत के ऐसे दिग्गज खिलाड़ी जिन्होंने साल 1952 में फिललैंड ओलंपिक खेलों में कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीता।इनका नाम था हीरो खाशाबा दादासाहब जाधव।समर ओलिंपिक तक पहुंचने और देश को पहला पदक दिलाने में उनके योगदान को कोई भुला नहीं सकता। यही वजह है कि आज उनके 97वें जन्मदिन के मौके पर गूगल ने उनका डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
जानकारी के अनुसार दादासाहब जाधव ने 1948 में पहली बार ओलिंपिक में हिस्सा लिया। तब कोल्हापुर के महाराजा ने उनकी लंदन यात्रा का खर्चा उठाया था।हालांकि उस दौरान वह कोई भी कुश्ती का मैच नहीं जीत पाए थे।
K D jhadhav Google Doodle: घर गिरवी कर ओलंपिक में जाने को जुटाए पैसे
K D jhadhav Google Doodle: साल 1952 में उन्होंने दोबारा ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया, लेकिन यहां उनके आड़े कमजोर आर्थिक स्थिति आ गई।ऐसे में उन्होंने लोगों से पैसे मांगे, चंदा इकट्ठा किया।इस दौरान घरवालों ने भी पैसे जुटाने में उनकी मदद की। राज्य सरकार से बार-बार मदद मांगने के बाद उन्हें महज 4 हजार रुपये की राशि ही प्राप्त हो सकी।रुपयों का इंतजाम करने के लिए उन्हें अपना घर, कॉलेज के प्रिंसिपल के पास गिरवी रखना पड़ा। इसके बदले प्रिंसिपल ने उन्हें सात हजार रुपये की मदद की।
K D jhadhav Google Doodle: 27 वर्ष की आयु में जीता पदक
महज 27 वर्ष की आयु के खशाबा ने इंडिविजुअल स्पोर्ट्स में ओलंपिक मेडल जीतकर इतिहास रचा। ऐसा करने वाले वह पहले पहले भारतीय बने।बावजूद इसके आज भी बहुत कम लोगों को ही इनके बारे में जानकारी है।महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले खाशाबा दादासाहब जाधव ने देश का नाम दुनियाभर में रोशन किया।
खाशाबा दादासाहब जाधव की विरासत आज भी कोल्हापुर के कुश्ती सेंटर में मौजूद है।
खेल जगत में कई लोग उन्हें भगवान मानते हैं। हालांकि उनका जन्म स्थान गोलेश्वर में है। यहां स्थित एक सार्वजनिक चौराहे पर एक अनूठी संरचना देखने को मिलेगी। जिसमें 5 अंगूठियां आपस में जुड़ी हुई हैं, जो आपको गांव के ओलंपिक के अधिकारों के बारे में बताती हैं। यही वजह है कि उनके घर को ओलंपिक आवास के रूप में जाना जाता है।जहां आज भी उनका किसान पुत्र रंजीत और उनका परिवार रहता है।
K D jhadhav Google Doodle: उनकी जीवनी पर हो रहा फिल्म का निर्माण
K D jhadhav Google Doodle: खाशाबा दादासाहब जाधव के उतार-चढ़ाव से जुड़ी जिंदगी पर एक फिल्म का निर्माण किया जा रहा है।जिसमें बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख ‘पॉकेट डायनेमो’ नामक फिल्म बना रहे हैं।
फिल्म में दादासाहब के बेटे रंजीत जाधव रितेश का सपोर्ट कर रहे हैं।यह फिल्म हिंदी के अलावा मराठी भाषा में भी देखने को मिलेगी। मशहूर लेखक संजय सुधाने ने उन पर वीर के डी जाधव के नाम से किताब भी लिखी है।
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