यूपी के अमरोहा जिले के सहसपुर गांव में पले बढ़े मोहम्मद शमी का नाम आज हर एक भारतीय की जुबान पर है। बुधवार को खेले गए क्रिकेट विश्वकप 2023 सेमीफाइनल मैच में 7 विकेट अपने नाम करने वाले शमी एक किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता खेती करने से पहले जवानी के दिनों में तेज गेंदबाजी किया करते थे। तेज गेंदबाजी का हुनर शमी के खून में है।
जब शमी महज 15 साल के थे तो उनके पिता तौसीफ अली उन्हें मुरादाबाद में क्रिकेट कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी के पास ले गए थे। शमी की गेंदबाजी को याद करते हुए सिद्दीकी बताते हैं, ” जब मैंने शमी को पहली बार गेंदबाजी करते देखा तो वह महज 15 साल का था। उसकी गेंदबाजी से ही समझ गया था कि ये लड़का आम नहीं है। इसलिए मैंने उसकी कोचिंग करने का फैसला किया। एक साल उसकी तैयारी कराई और यूपी के लिए ट्रायल करवाया।”
बदरुद्दीन आगे बताते हैं, ” शमी बात माना करता था,रोज गेंदबाजी की प्रैक्टिस करता था और बहुत मेहनती था। कोई ऐसा दिन नहीं था जिस दिन वो गेंदबाजी की प्रैक्टिस न करता हो। अंडर 19 के ट्रायल में राजनीति के चलते उसका चयन नहीं हो सका। सिलेक्टर ने कहा कि इसको अगले साल लाओ। मैं नहीं चाहता था कि इसका साल खराब हो। इसलिए मैंने इसके पिता से कहा कि इसे कोलकाता ले जाओ। “
जब शमी मुरादाबाद में प्रैक्टिस करते थे तो अपनी तकनीक पर काम करते थे। वे पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग का अभ्यास करते थे। शमी ने बचपन से रिवर्स स्विंग करने और तकनीक को बेहतर करने पर काम किया। जिसका नतीजा आज देखने को मिलता है। साल 2005 के बाद शमी कोलकाता चले गए थे। डलहौजी एथलीटिक क्लब की ओर से खेलते हुए देवव्रत दास की नजर शमी पर पड़ी। दास क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में अपनी सेवाएं दे चुके थे। दास ने शमी को कहा कि वे उनके क्लब के लिए खेलें। शमी के पास कोलकाता में रहने की जगह नहीं थी तो दास ने उन्हें अपने पास रखा। दास के मार्गदर्शन में खेलते हुए शमी पर सिलेक्टर्स की नजर पड़ी और बंगाल की अंडर 22 टीम में शमी का चयन हो गया।
दास शमी के बारे में कहते हैं, “शमी ऐसा लड़का नहीं है जो पैसे के पीछे भागे। स्टंप पर जब गेंद लगती है तो शमी को वो आवाज बहुत पसंद है, वह बस उसी का पीछा करता है। शमी का सारा ध्यान बल्लेबाज को क्लीन बोल्ड करने पर होता है।”
शमी ने आगे चलकर मोहन बागान क्रिकेट क्लब के लिए खेला। एक समय में शमी ईडन गार्डन्स के नेट्स में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को गेंदबाजी किया करते थे। गांगुली ने सिलेकर्ट्स को शमी की गेंदबाजी देखने को कहा। बाद में 2010–11 रणजी ट्रॉफी के लिए शमी बंगाल की टीम में शामिल हुए।
अक्टूबर 2010 में बंगाल की ओर से खेलते हुए शमी ने एक टी20 मैच में चार विकेट झटके। अगले महीने शमी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा। उन्होंने असम के खिलाफ खेलते हुए तीन विकेट लिए। फरवरी 2012 में शमी की गेंदबाजी की बदौलत ईस्ट जोन ने पहली बार दिलीप ट्रॉफी जीती। उन्होंने मैच में 8 विकेट लिए। इंडिया ए के वेस्टइंडीज दौरे के लिए शमी का जब चयन हुआ तो उन्होंने विदेशी सरजमीं पर कमाल की गेंदबाजी की। इसके बाद इंडिया ए के लिए खेलते हुए वे न्यूजीलैंड भी गए।
रणजी ट्रॉफी के 2012–13 के सीजन में मध्यप्रदेश के खिलाफ शमी ने 11 विकेट लिए। इसके अगले महीने शमी ने हैदराबाद के खिलाफ 10 विकेट लिए। 5 मैचों में शमी ने 28 विकेट अपने नाम किए। 18 फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने 71 विकेट लिए। साल 2013 में शमी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा। वे अब तक टेस्ट मैच में 229, ओडीआई में 194 और टी20 में 24 विकेट ले चुके हैं।