भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सुप्रीम कोर्ट से अपने संविधान में संशोधन पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि BCCI के कई नियमों में संशोधन के लिए याचिका पिछले 2 सालों से लंबित है। इसको लेकर BCCI के अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड से संबंधित नियमों को बदलने की अनुमति दिए जाने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की है।
बता दें कि (BCCI) के वकील ने स्पॉट फिक्सिंग मामले में मुख्य याचिकाकर्ता क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार सहित सभी संबंधित पार्टियों को इस बारे में सूचित किया है। बता दें कि बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली , सचिव जय शाह , उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, कोषाध्यक्ष अरुण सिंह धूमल और संयुक्त सचिव जयेश जार्ज हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश द्वारा मान्य बीसीसीआई के संविधान के अनुसार इनमें से कई पदाधिकारियों का कार्यकाल खत्म हो चुका है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2020 में दाखिल एक याचिका को आधार बनाकर अपने पद पर डटे हुए हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान के अनुसार हर साल सितंबर के तीसरे शनिवार-रविवार को बीसीसीआई की वार्षिक आम सभा (एजीएम) होनी है। इस साल सितंबर में चुनाव भी होने हैं क्योंकि तीन साल पहले चुनाव हुए थे।
BCCI ने 2019 में अपने संविधान में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अब बीसीसीआई नए संविधान को लागू कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया है। वहीं इस बार मामले में प्रतिवादी क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार की तरफ से आदित्य वर्मा खुद बहस करेंगे।
BCCI के नए संविधान में तीन साल का कूलिंग पीरियड करना होगा
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति किसी राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई या दोनों में मिलाकर अगर लगातार छह साल पदाधिकारी (अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव, उपाध्यक्ष या अन्य) रह लेता है तो उसे तीन साल के कूलिंग ऑफ पर जाना होगा। यानी वह व्यक्ति तीन साल तक बीसीसीआई की किसी समिति तक में नहीं रह सकता।

वहीं, नए संविधान में लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति बीसीसीआई में सिर्फ अध्यक्ष या सचिव पद पर रहते हुए लगातार दो कार्यकाल पूरा करता है तो उसे तीन साल का कूलिंग पीरियड करना होगा। इसमें राज्य संघ की अवधि को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। मालूम हो कि जय शाह बीसीसीआई सचिव बनने से पहले गुजरात क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव जबकि सौरव गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष थे। अगर यह संशोधन नहीं होते हैं तो दोनों बीसीसीआई के पद पर बने नहीं रह सकते।
आईसीसी में जाने के नियम में भी बदलाव
दरअसल बोर्ड के नए संविधान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) में जाने के नियम में भारत के प्रतिनिधित्व के नियम में भी बदलाव किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित संविधान के हिसाब से कोई मंत्री, सरकारी नौकर, सांसद, विधायक और किसी अन्य खेल संघ में शामिल व्यक्ति बीसीसीआई का पदाधिकारी, किसी कमेटी का सदस्य, गवर्निग काउंसिल का सदस्य और आईसीसी का प्रतिनिधि नहीं हो सकता।

नए संविधान में सांसद, विधायक और अन्य खेल संघ में शामिल लोगों को इससे छूट दी गई है। अभी किसी आपराधिक मामले में कोर्ट द्वारा आरोपी बनाए जाने पर ही बीसीसीआई में शामिल नहीं किया जाता है, लेकिन नए संविधान में कम से कम तीन साल की सजा होने पर ही अयोग्य साबित करने का प्रविधान किया गया है।
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