Vaishakh Sankasti Chaturthi: वैशाख संकष्‍टी चतुर्थी के व्रत और पूजन से दूर होगी कठिनाई, जानिए व्रत की तिथी और मुहूर्त

Vaishakh Sankasti Chaturthi: इस दिन व्रत और पूजन करने, कथा श्रवण करने मात्र से ही भगवान लंबोदर का आशीष बना रहता है।

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Vaishakh Sankasti Chaturthi Vrat News
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Vaishakh Sankasti Chaturthi: वैशाख मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से प्रसिद्ध है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी रविवार 9 अप्रैल को ही संकष्‍टी चतुर्थी व्रत एवं पूजन किया जाएगा। शास्‍त्रों के अनुसार आज ही के दिन पूरे विधि विधान के साथ श्री गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री गणेश जी की पूजा एवं व्रत करने से जातक की सभी इच्‍छाएं पूरी होती हैं। उसे कभी किसी चीज की जीवन में कमी नहीं होती।

दरअसल हर माह की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश जी को समर्पित होती है। बावजूद इसके वैशाख संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है।इस दिन व्रत और पूजन करने, कथा श्रवण करने मात्र से ही भगवान लंबोदर का आशीष बना रहता है।आइए जानते हैं वैशाख संकष्टी चतुर्थी व्रत के पूजन एवं मुहूर्त के बारे में।

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Lord Ganesh.

Vaishakh Sankasti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

Vaishakh Sankasti Chaturthi: संकष्‍टी चतुर्थी की शुरुआत आज यानी रविवार की सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर होगी। इसका समापन 10 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर होगा। चंद्रोदय राज 10 बजकर 02 मिनट पर होगा।

Vaishakh Sankasti Chaturthi:पूजन विधि

Loard Ganesh 2 min

Vaishakh Sankasti Chaturthi: सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठें। स्‍नान के उपरांत स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। आज के दिन लाल रंग धारण करना अत्‍यंत शुभ रहता है। ऐसे में संभव हो तो लाल रंग के कपड़े पहनें।भगवान गणेश जी की मूर्ति को सुंदर फूलों के साथ सजाएं।

पूजा में दुर्वा, तिल, गुड़, तांबे के लोटे में पानी, धूप, चंदन, केला और नारियल भी रखें।
पूजा के दौरान मां दुर्गा जी की प्रतिमा भी अपने निकट रखें, जोकि बेहद शुभ रहता है। भगवान गणेश जी को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें. संकष्टी को भगवान गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग भी लगाएं।संकष्‍टी व्रत की कथा करें और रात्रि में चंद्रमा को देखने के बाद ही अपना व्रत खोलें।मालूम हो कि वर्ष भर संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं।सभी व्रतों की एक अलग व्रत कथा भी है।

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