Religious News: हमारे शास्त्रों में कई विशेष दिनों, पर्व और खासतौर पर सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान कई बातों पर बेहद गंभीरता से लिया जाता है। इस दौरान सूतक काल माना जाता है और कई चीजें वर्जित मानी जाती हैं। ठीक इसी प्रकार पातक की परंपरा भी होती है। आपको दोनों ही शब्दों के अलग-अलग अर्थ और जानकारी देने की हमारी कोशिश है। आखिर सूतक और पातक में क्या है अंतर जानिए यहां?
Religious News: क्या होता है सूतक?
Religious News: सूतक का समय ग्रहण और जन्म के समय हुई अशुद्धियों से है। दरअसल घर में जब किसी बच्चे का जन्म होता है उसके परिवार पर सूतक लागू हो जाता है।इस दौरान बच्चे के माता-पिता और घर के अन्य सदस्य किसी धार्मिक गतिविधि में भाग नहीं लेते हैं। छठी पूजन तक घर की रसोई में जच्चा का जाना वर्जित रहता है।वहीं सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल लागू रहता है और मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। इस दौरान मंदिर में पूजा करने की मनाही रहती है।
Religious News: जानिए क्या होता है पातक?
Religious News: जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो वहां पातक लग जाता है। इस दौरान मृत व्यक्ति के घरवालों को 12 या 13 दिन तक पातक के नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। परिवार के सदस्यों का रसोई में प्रवेश वर्जित रहता है। पातक के दौरान पूजा-पाठ या शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
दरअसल मृत्यु से फैली अशुद्धि के चलते पातक काल लग जाता है। पातक काल सवा महीने का होता है, लेकिन दाह संस्कार से लेकर 13 दिन इसका सख्ती के साथ पालन करना होता है। अस्थि विसर्जन, पवित्र नदी में स्नान और ब्राह्मण भोज कराने के बाद ही पातक समाप्त होता है।
घर में किसी इंसान की मृत्यु, स्त्री के गर्भपात और पालतू जानवर की मृत्यु होने पर पातक के नियमों का पालन करना जरूरी माना गया है।पातक के दिन और समय का निर्धारण भी अलग होता है।
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