पूर्वजों को श्रृद्धांजलि देने के लिए पितृ पक्ष के दिन पितरों को समर्पित होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष के सोलह दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पितरों का श्राद्ध करने से पूर्वजों का ऋण उतरता है और साथ ही पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। आइए जानते हैं कि इस साल पितृ पक्ष में पहला श्राद्ध कब किया जाएगा और श्राद्ध की प्रमुख तिथियां क्या रहेंगी।
- हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा।
- पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर होगा।
- पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा।
- प्रतिपदा तिथि की श्राद्ध तिथि 18 सितंबर को पड़ रही है।
- श्राद्ध पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और इसलिए 18 सितंबर से पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान जैसे अन्य दूसरे कार्य किए जाएंगे।
- इसका मतलब है कि पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से हो रहा है, जो कि 2 अक्तूबर 2024 तक चलेगा।
श्राद्ध मुहूर्त
कुतुप मूहूर्त – 11:51 से 12:40
रौहिण मूहूर्त – 12:40 से 13:29
अपराह्न काल – 13:29 से 15:56
श्राद्ध की प्रमुख तिथियां
पितृ पक्ष प्रारंभ, पूर्णिमा का श्राद्ध- 17 सितंबर2024
प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)- 18 सितंबर
द्वितीया तिथि का श्राद्ध- 19 सितंबर
तृतीया तिथि का श्राद्ध- 20 सितंबर
चतुर्थी तिथि का श्राद्ध- 21 सितंबर
पंचमी तिथि का श्राद्ध- 22 सितंबर
षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध- 23 सितंबर
अष्टमी तिथि का श्राद्ध- 24 सितंबर
नवमी तिथि का श्राद्ध- 25 सितंबर
दशमी तिथि का श्राद्ध- 26 सितंबर
एकादशी तिथि का श्राद्ध- 27 सितंबर
द्वादशी तिथि का श्राद्ध- 29 सितंबर
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध- 30 सितंबर
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध- 1 अक्टूबर
सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त- 2 अक्टूबर