Katarmal: क्या आप जानते हैं कि ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक भगवान सूर्य के दो ही मंदिर भारत में हैं।इसमें से एक मंदिर ओडिशा में तो दूसरा मंदिर उत्तराखंड में स्थित है।ओडिशा स्थित मंदिर कोर्णाक के बारे में बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित कटारमल मंदिर भी भगवान सूर्य को समर्पित बेहद सुंदर मंदिर है।
अल्मोड़ा से करीब 16 किलोमीटर दूरी पर स्थित कटारमल यहां बसे अधोली सुनार गांव में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2116 मीटर है। कटारमल के समीप ही कोसी नामक बाजार है। इसके साथ ही कोसी नदी जिसे कौशिकी नदी भी कहते हैं, प्रवाहित होती है। इस मंदिर की गिनती समस्त कुमाऊं के विशाल मंदिरों में होती है।
Katarmal: बेजोड़ है वास्तुकला
Katarmal Temple:कटारमल का सूर्य मंदिर अपनी विशेष वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।जानकारी के अनुसार कटारमल के सूर्यमंदिर का लोकप्रिय नाम बारादित्य है। कटारमल के मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के राजा कटारमल देव ने कराया था। इसीलिये इस मंदिर का नाम राजा कटारमल के नाम से कटारमल का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
यहां छोटे-छोटे लगभग 45 मंदिरों का समूह है। इतिहासकारों के अनुसार मुख्य मंदिर के निर्माण का अलग- अलग समय माना जाता है।हालांकि वास्तुकला और शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13 वी शताब्दी में माना जाता है।
Katarmal: 11वीं शताब्दी का है मंदिर
Katarmal Temple: अल्मोड़ा सूर्य मंदिर की दीवार पर तीन लाइन में लिखा एक शिलालेख भी है।जिसके अनुसार प्रसिद्ध लेखक राहुल सांकृत्यायन ने इसे दसवीं सदी अथवा 11 सदी के उतरार्द्ध का माना है। राहुल सांकृत्यायन ने यहां रखीं मूर्तियां को कत्यूरी काल की माना है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की 2 मूर्तियां और विष्णु शिव गणेश भगवान की मूर्तियां है। पुरातत्वविदों के अनुसार यह मंदिर 11वीं शताब्दी का माना जा सकता है। इस मंदिर के लकड़ी के गुम्बद और उस पर की गई नक्काशी को देखकर लगता है कि यह 8वीं या 9वीं शताब्दी का है।
Katarmal:भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया
Katarmal Temple: कटारमल सूर्य मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक माना है। इसके तहत ही यहां का जीर्णोद्धार से लेकर रखरखाव करवाया जाता है। जानकारी के अनुसार यहां सुंदर अष्टधातु की मूर्ति थी, जिसे चोरों ने चुरा लिया था, हालांकि बाद में इसे बरामद कर दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया। मंदिर का ऊंचा शिखर भी खंडित हो गया है।
इसकी शिखर की ऊंचाई को देखकर इसकी वास्तविक ऊंचाई का अनुमान लगाया जा सकता है। कटारमल मंदिर का प्रवेश द्वार भी अनुपम काष्ट कला का नमूना था, चोरी की वारदात के बाद इन दरवाजों को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया।
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