Kasar Devi: उत्‍तराखंड का अदभुत मंदिर जहां मिल चुके हैं चुंबकीय प्रभाव के प्रमाण, NASA के वैज्ञानिक भी कर रहे हैं शोध

Kasar Devi: देश ही नहीं बल्कि विदेशों के वैज्ञानिक भी यहां मिलने वाले चुंबकीय प्रभाव पर शोध कर रहे हैं।दरअसल कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है।

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Kasar Devi:

Kasar Devi: देवभूमि उत्‍तराखंड अपने अंदर कई रहस्‍य, रोमांच एवं दैवीय शक्तियों को समेटे हुए है। यहां कई शक्तिपीठ एवं मंदिर हैं, जहां साल भर बड़ी संख्‍या में भक्‍त दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसा ही एक सुंदर शक्तिपीठ है अल्‍मोड़ा जिले में स्थित कसार देवी मंदिर।जो दैवीय शक्ति और रहस्‍य से परिपूर्ण है।
यही वजह है देश ही नहीं बल्कि विदेशों के वैज्ञानिक भी यहां मिलने वाले चुंबकीय प्रभाव पर शोध कर रहे हैं।दरअसल कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
यही वजह है कि पिछले दो साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। गौरतलब है कि शोध में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।

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Kasar Devi Temple.

Kasar Devi: देवी कात्यायनी” की होती है पूजा

अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर काषय अथवा कश्‍यप पर्वत पर स्थित कसार देवी एक गांव है। यह स्थान “कसार देवी मंदिर” के कारण प्रसिद्ध है।ऐसी मान्‍यता है कि यह मंदिर, दूसरी शताब्दी के समय का है। कसार देवी की शक्तियों का एहसास इस स्थान के कण-कण में होता है। अल्मोड़ा- बागेश्वर हाईवे पर “कसार” नामक गांव स्थित ये मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार कसार देवी मंदिर में मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुईं थीं।ऐसे में मंदिर में मां दुर्गा के आठ रूपों में से एक रूप “देवी कात्यायनी” की पूजा की जाती है।

Kasar Devi: स्वामी विवेकानंद भी यहां कर चुके हैं ध्‍यान

Kasar Devi: जानकारी के अनुसार मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया था। तभी से यह स्थान विशेष माना जाता है। स्थानीय लोगों की मानें तो दूसरी शताब्दी में बना यह मंदिर 1970 से 1980 की शुरुआत तक डच संन्यासियों का घर हुआ करता था। यह मंदिर हवाबाघ की सुरम्य घाटी में स्थित है।
स्वामी विवेकानंद ने 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीने इसी स्‍थान पर आए थे। अल्मोड़ा से करीब 22 किलोमीटीर दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी। इसी तरह बोद्ध गुरु “लामा अन्ग्रिका गोविंदा” ने गुफा में रहकर विशेष साधना की थी।

Kasar Devi: क्रैंक रिज के लिए मशहूर

यह क्रैंक रिज के लिए भी प्रसिद्ध है। जहां 1960-1970 के दशक में “हिप्पी आन्दोलन” बहुत प्रसिद्ध हुआ था।उत्तराखंड देवभूमि का ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान माना गया है जहां खास चुम्बकीय शक्तियां उपस्थित हैं। कसारदेवी मंदिर की अपार शक्ति से बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
दुनिया के तीन पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शनों के साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। जिनमें अल्मोड़ा स्थित “कसार देवी मंदिर” और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित “माचू-पिच्चू” और इंग्लैंड के “स्टोन हेंग” में अद्भुत समानताएं मिली हैं। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं। यह क्षेत्र ‘चीड़’ और ‘देवदार’ के जंगलों का घर है, जोकि न केवल अल्मोड़ा और हावाघ घाटी के दृश्य प्रदान करता है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश सीमा पर बंदरपंच शिखर से नेपाल में स्थित ‘एपी हिमल’ हिमालय के मनोरम दृश्य भी दिखाता है।

Kasar Devi temple Almora.
Kasar Devi temple

Kasar Devi: जानिए दुनिया के 3 स्थलों की विशेषताएं

कसारदेवी मंदिर, अल्मोड़ा (भारत) – अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा-बिनसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश विदेश से कई पर्यटक आते हैं।

माचू-पिच्चू, पेरू (अमेरिका) – यहां इंका सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो उस वक्त एक धार्मिक नगरी थी। 11वीं शताब्दी में वहां वेधशाला भी थी। यहां ऊपर पहाड़ी से नीचे देखने पर एक लम्बी लाइन दिखाई देती है, जबकि नीचे पहुंचने पर ऐसा कुछ नहीं पाया जाता है।

स्टोन हैंग स्मारक, विल्टशायर (इंग्लैंड) – वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल यह स्मारक दुनिया के सात आश्चर्यों में शुमार है। यहां भी प्रागैतिहासिक काल के प्रमाण देखे जा सकते हैं।

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