Karwa Chauth:करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसका जिक्र उठते ही हर महिला के मन में श्रृंगार और सजने संवरने के विचार आने लगते हैं।सुहागिनों द्वारा अपने अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला ये व्रत बेहद खास होता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जल रहकर अपने पति की दीघार्यु की कामना करतीं हैं।पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोलतीं हैं। करवा चौथ की तैयारियां पूरे जोरशोर के साथ शुरू हो चुकी हैं। महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक करवा चौथ के दिन हर सुहागिन महिला पूरे जप, तप और श्रृंगार कर व्रत करती है।
करवा चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं कई नियमों का पालन सख्ती से करती हैं। करवा चौथ पर मंगलसूत्र का विशेष महत्व होता है, कहा जाता है मंगलसूत्र पति के जीवन की रक्षा करता है और उन पर आने वाले सभी संकटों को दूर करता है। आइए जानते हैं अखंड सौभाग्य और प्रेम के प्रतीक करवा चौथ पर कैसे कर सकतीं हैं 16 सिंगार?

Karwa Chauth: जानिए 16 श्रृंगार में क्या-क्या शामिल है ?
- Karwa Chauth: 1 बिंदी – हर सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम बिंदी को माथे पर लगाना बेहद शुभ माना जाता है।ये महिला में गुरु ग्रह के प्रभाव को बढ़ाता है।
- Karwa Chauth: 2 सिंदूर- सिंदूर सौभाग्य का सबसे बड़ा प्रतीक है। ऐसे में इसे लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है।
- Karwa Chauth: 3 काजल- काजल आंखों को सुंदरता देने के साथ मंगलदोष को खत्म करता है।
- 4 मेहंदी – 16 सिंगार बिन मेहंदी अधूरा माना जाता है।इसे लगाने से न केवल हाथों की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि पति का स्नेह आपके प्रति बढ़ता है। इसीलिए इसे लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
- 5 चूड़ियां-अमर सुहाग की प्रतीक मानी जाती हैं चूड़ियां।ऐसे में सुहागिन महिलाएं इसे धारण करतीं हैं। लाल और हरे रंग की चूड़ियां शुभता का प्रतीक मानी जाती हैं।
- 6 मंगल सूत्र- ये सुहाग का गहम प्रतीक है। इसमें लगे काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा गले में नौलखा हार और स्वर्णमाला भी पहन सकते हैं।
- 7 नथ- जिसे नथनी भी कहते हैं, भारतीय संस्कृति में अहम स्थान रखती है। ऐसी मान्यता है कि इसे पहनने के बाद महिलाओं को कई महिला संबंधी तकलीफों से भी आराम मिलता है। यही वजह है कि पुराने समय में लोग इसे पहनते थे। इसकी जगह चांदी का तार या लौंग भी पहन सकते हैं। इसे पहनने से बुध का दोष भी दूर होता है।
- 8 गजरा- इसे वेणी या चूड़ामणि भी कहा जाता है। ये बालों की सुंदरता बढ़ाता है।
- 9 मांगटीका – इसे माथे के बीचोंबीच पहना जाता है।जोकि शालीनता और सादगी का प्रतीक है। आजकल राजस्थानी, पारंपरिक, गुजराती, मराठी स्टाइल के अलावा कई सुंदर डिजाइन के मांग टीका या शीष फूल भी बाजार में मिलते हैं।
- 10 झुमके – इसे कुंडल या बाली भी कहते हैं। इसे पहनने से राहू और केतू का दोष दूर होता है। इसके साथ ही ये इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना।
- 11 बाजूबंद – ये सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर होता है।जिसे बाजू में पहनते हैं। ये परिवार में धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- 12 कमरबंद – इसे कई जगहों पर तगड़ी भी कहते हैं। यह कमर में पहना जाता है।
- 13 बिछिया – इसे बिछुआ भी कहते हैं। ये पैरों की अंगुली में पहना जाता है। यह सूर्य और शनि का दोष भी दूर करती है। ये हर सुहागिन के पराक्रम का प्रतीक भी होती है।
- 14 पायल – चांदी निर्मित पायल से सुहागिन की सुंदरता बढ़ने के साथ ही उसके बुरे ग्रहों का असर भी कम होता है।
- 15 अंगूठी – इसे विवाह पूर्व मंगनी में पति पहनाता है।
- 16 स्नान – ये श्रृंगार का प्रथम चरण है। ऐसी मान्यता है कि कोई भी सिंगार करने से पूर्व नियमपूर्वक स्नान करते हैं। स्नान के जल में शिकाकाई, भृंगराज, उबटन, आंवला, गुलाक का अर्क, पंखुडि़यां आदि सामग्री को मिलाते हैं। इसके बाद शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं।
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