Holi in Mathura: फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। इस दिन लोग होलिका की पूजा और दहन के बाद ही भोजन आदि किया जाता है। धार्मिक दृष्टि से होली का त्योहार काफी महत्व रखता है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च 2022 को है। वहीं रंगवाली होली 18 मार्च 2022 को खेली जाएगी। पर कृष्ण भूमि मथुरा में होली 10 मार्च से ही शुरू हो गई है। मथुरा में लड्डू मार होली से होल की शुरुआत होती है। 14 मार्च को कृष्ण जन्म स्थान में होली खेली जा रहा है। कान्हा की नगरी रंगों से सराबोर है। इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
Holi in Mathura: तस्वीरों में दिखा होली का रंग
बांके बिहारी मंदिर में फूलों और रंगों वाली होली खेली जा रही है। इसके साथ ही आज कृष्ण जन्मस्थान पर भी होली खेली जाएगी।
दुनिया के पहले मोटिवेशनल स्पीकर श्री कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे भगवान विष्णू के 8वें अवतार माने गए हैं।
होली को लेकर कई कथाएं प्रचलित है जिससे आज भी कई लोग अंजान हैं। भारत में सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाने में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है।
मथुरा में होली खेलने के लिए विदेशों से लोग आते हैं। यहां की होली विश्व प्रसिद्ध है। राधारानी और कृष्ण भगवान के दर्शन के लिए लोग मथुरा जाते हैं। इसके साथ रंगो का भी मजा लेते हैं।
Holi in Mathura: ऐसी होती है मथुरा की होली
10 मार्च गुरुवार को बरसाने के श्रीजी मंदिर में लड्डू की होली
11 मार्च शुक्रवार को लट्ठमार होली बरसाना
12 मार्च शनिवार लट्ठमार होली नंदगांव
14 मार्च सोमवार को फूलों वाली होली और रंगभरी होली बांके बिहारी मंदिर में 14 मार्च सोमवार को कृष्ण जन्मस्थान में भी होली खेली जाएगी
16 मार्च बुधवार गोकुल होली
17 मार्च गुरुवार वृंदावन में विधवाओं की होली
18 मार्च शुक्रवार होलिका दहन पूरे देश में, धधकती आग से निकलेगा पंडा
19 मार्च शनिवार धूलेंडी उत्सव
20 मार्च रविवार बलदेव में दाऊजी का हुरंगा
21 मार्च सोमवार गिडोह और बठैन में हुरंगा
23 मार्च बुधवार पंचमी फूलडोल मेला खायरा
कृष्ण भगवान के कई नाम हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे।
कृष्ण भगवान का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तृत रूप से लिखा गया है।
कान्हा की नगरी में होली खेलने के लिए भक्त उन्हीं के रंग में रंग जाते हैं। महिलाएं राधारानी बनती हैं और पुरुष कृष्ण बनते हैं। इस दिन झांकियां भी निकाली जाती हैं।
बता दें कि कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। देवकी कंस की बहन थी। कंस एक अत्याचारी राजा था। उसने आकाशवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा।
मथुरा की गलियों का रंग सालों तक नहीं उतरता है। गलियों में रंग भरी पिचकारी लेकर बच्चे खड़े रहते हैं।
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