Ganesh Chaturthi 2021: 10 सितंबर से गणेश उत्सव की धूम शुरु हो जाएगी। घर घर में गणपती बप्पा ही होंगे। चारों तरफ गणेश जी की आरती की गूंज सुनाई देगी। गल्ली – मुहल्ले में गणपती की प्रतिमा दिखाई देगी। पर आप को पता है भारत में गणेश जी की 1100 साल पुरानी प्रतिमा कहां है ?
गणपती बप्पा की 1100 साल पुरानी प्रतिमा छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada ) जिले के ढोलकल पर्वत शिखर (Dholkal Mountain Peak) पर 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है। यह प्रतिमा 11वीं सदी में स्थापित की गई थी। कहा जाता है कि दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक के रूप नागवंशियों ने गणेशजी की यहां पर स्थापना कराई थी।

जिस जगह यह प्रतिमा स्थापित है उसे ढोलकल की पहाड़ी कहते हैं। दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर ढोलकल है। पहाड़ी पर स्थापित 6 फीट ऊंची 21/2 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से अत्यन्त कलात्मक है।
इसकी स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं ने की थी। मूर्ति ललितासन मुद्रा में है। गणेश की ऐसी दुर्लभ प्रतिमा विश्व में विरले ही है।
छत्तीसगढ़ के Midkulnar में स्थित इस मंदिर को ढोलकल गणेश मंदिर कहते हैं। गणेश उत्सव पर यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है।

प्राकृतिक आभा के बीच खुले पर्वत में स्थित गणेश की यह प्रतिमा समुद्र तल से 2994 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। 1100 साल पुरानी प्रतिमा को देखने के बाद हर कोई मोहित हो जाता है।
दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा की महिला पुजारी से मानते हैं। क्षेत्र में यह कथा प्रचलित है कि भगवान गणेश और परशूराम का युद्ध इसी शिखर पर हुआ था। युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत यहां टूट गया।
इस घटना को चिरस्थायी बनाने के लिए छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापति की। चूंकि परशूराम के फरसे से गणेश का दांत टूटा था, इसलिए पहाड़ी की शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा।
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