Dhanteras 2024: धनतेरस पर जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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Dhanteras 2024
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धनतेरस का त्योहार दिवाली से दो दिन पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आयुर्वेद के प्रवर्तक धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे इसी वजह से इस दिन को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। तेरस का अर्थ है पंचांग की तेरहवीं तिथि और धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की उपासना की जाती है।

धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त


धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस के दिन खरीदें ये चीजें

  • दीपावली से ठीक पहले धनतेरस के दिन सोना खरीदना, चांदी के बर्तन खरीदना, गहने खरीदना या अन्य कीमती सामान खरीदने का विशेष महत्व बताया गया है।
  • इस दिन नए वाहन, संपत्ति या अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं की खरीदारी करते हैं।
  • साथ ही आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक्स और नए उपकरण धन त्रयोदशी पर खरीदना शुभ माना जाता है।

धनतेरस पर क्या न करें

  • धनतेरस पर सोना और चांदी के बर्तन खरीद सकते हैं, लेकिन लोहा खरीदना से बचना चाहिए।
  • धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए।
  • इस दिन घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।
  • धनतेरस के दिन किसी से ना कर्ज लें साथ ही ना ही किसी को कर्ज दें।
  • धनतेरस के दिन अशुद्ध स्थानों पर पूजा नहीं करनी चाहिए।

धनतेरस पूजन विधि

  • धनतेरस की पूजा संध्या काल में पूजा की जाती है।
  • प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद उत्तर दिशा की तरफ आप एक चौकी रखें, उस पर कपड़ा बिछाइए। अब कुबेर भगवान और धनवंतरी भगवान की मूर्ति की स्थापना करें और एक एक मुखी घी का दीपक जलाएं कुबेर भगवान के लिए और एक दीपक धन्वंतरी भगवान के लिए जलाएं।
  • कुबेर देवता को सफेद मिठाई का भोग लगाएं और धनवंतरी देव को पीली मिठाई का भोग लगाएं।
  • कुबेर देवता के मंत्र का जप करें – ह्रीं कुबेराय नमः, ओम ह्रीं कुबेराय नमः।
  • उसके बाद धन्वंतरी भगवान के लिए धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करें।

करें ये उपाय

  • इस दिन मां लक्ष्‍मी के आगे घी का दीया जलाएं। ऐसा करने से आपके घर में धन और संपन्नता आएगी।
  • धनतेरस पर सोने या चांदी के आभूषण खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • धनतेरस के दिन यमराज के लिए घर में दीपदान किया जाता है जिससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
  • धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाने चाहिए।