Chhath Puja 2022: नहाय-खाय के साथ हुआ छठ महापर्व का आगाज, जानें इसका महत्व और कथा…

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Chhath Puja 2022: नहाय-खाय के साथ हुआ छठ महापर्व का आगाज, जानें इसका महत्व और कथा...
Chhath Puja 2022: नहाय-खाय के साथ हुआ छठ महापर्व का आगाज, जानें इसका महत्व और कथा...

Chhath Puja 2022: आस्था के महापर्व छठ पूजा की आज से शुरुआत हो गई है। इस चार दिवसीय महापर्व का पहला दिन नहाय-खाय होता है। कहा जाता है छठ पर्व काफी कठिन व्रत है। इसमें व्रती अपने परिवार और बच्चों के लिए पूरे 36 घंटे का बिना अन्न-जल ग्रहण किए भगवान की आस्था में लीन रहती हैं। छठ पूजा के दौरान छठी/ षष्ठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसमें उगते सूर्य के साथ ही डूबते सूर्य को भी पूजा जाता है।

Chhath Kharna (2)
Chhath Puja

कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण यानि षष्ठी देवी को विदा किया जाता है।

Chhath Puja पर नहाय-खाय का महत्व

छठ महापर्व का पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन घर पर व्रत करने वाले सभी लोग लौकी या कद्दू की सब्जी खाते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन पूजा एवं व्रत में इस्‍तेमाल की जाने वाली हर वस्‍तु शुद्ध और नई होती है। कहा जाता है इस दिन व्रत करने वाले लोग सिर्फ दिन में एक बार खाना खाते हैं और आज से ही घर में प्याज-लहसुन पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है। इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी जाती है। आज नमक वाला अन्न खाने के बाद अगले दो दिनों तक व्रत किया जाता है।

Chhath Puja (1)
Chhath Puja

Chhath Puja 2022: छठ महापर्व की कथा

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। व्रत करने वाले सभी लोग मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं। इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है। इस पर्व में लोग कोई भी भूल करने से बहुत बचते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे, उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी जिस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन संतान प्राप्ति के लिए दोनों ने महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं। लेकिन नौ महीने बाद उन्हें मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात से दंपत्ति बहुत दुखी हुए।

Chhath Puja 2021 Date
Chhath Puja

संतान शोक में गुम राजा एक दिन नदी किनारे बैठे थे तभी उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं। देवी ने राजा से कहा कि मैं षष्टी देवी हूं। जो सच्चे मन से मेरी पूजा-अराधना करता है मैं उन लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। इसके बाद राजा ने देवी की बातों का पालन किया और दंपत्ति ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। इसी के बाद से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा। इसके अलावा से भी कई धार्मिक कथाएं हैं।

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