Buddha Poornima 2022: पूरे विश्व में अहिंसा और शांति का संदेश देने के लिए प्रसिद्ध महात्मा बुद्ध का जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म ग्रन्थों के अनुसार, वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को गौतम बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।इसी तिथि को महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था।इस साल ये पर्व 16 मई को मनाया जाएगा।बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ये दिन सबसे बड़ा उत्सव होता है।
हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी ये पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार माने जाते हैं। इस दिन भगवान बुद्ध के अलावा श्रीहरि विष्णु और भगवान चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। इस दिन को हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। आइये जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा 2022 का मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व।
Buddha Poornima 2022: 16 मई को होगी बुद्ध पूर्णिमा की धूम
इस वर्ष 16 मई यानी आगामी सोमवार को वैशाख माह की पूर्णिमा है। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाया जाएगा। बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
Buddha Poornima 2022: बुद्ध पूर्णिमा व्रत की विधि
ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन किया गया व्रत एवं पूजन का बहुत महत्व होता है। ये दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी और चंद्रमा को समर्पित होता है। इसी कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग इस दिन व्रत एवं पूजन करते हैं।
व्रत रखने वालों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और वरुण देवता का ध्यान करें।
स्नान करने के बाद सूर्य देवता को मंत्रों के उच्चारण के साथ अर्घ्य दें। फिर भगवान श्रीहरि की पूजा करें। पूजा के बाद दान पुण्य अवश्य करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही फलदायी माना जाता है। दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
Budhdha Poornima 2022: बुद्ध पूर्णिमा महत्व भी जानें
गौतम बुद्ध के जन्म और मृत्यु के समय को लेकर मतभेद हैं। कई इतिहासकारों के अनुसार इनका जीवनकाल 563-483 ईपू के मध्य माना है। पूरी दुनिया में महात्मा बुद्ध को सत्य और अहिंसा की खोज के लिए जाना जाता है।
गौतम बुद्ध राजसी ठाठ का त्यागकर सत्य और ज्ञान की तलाश में वर्षों वन में भटकते रहे। उन्होंने कठोर तपस्या कर बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे सत्य का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इसके बाद महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान से पूरी दुनिया में एक नई रोशनी पैदा की।
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