उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव भले ही दो साल दूर हो, लेकिन सियासी जमीन अभी से गरमाने लगी है। प्रमुख दलों के साथ-साथ उनके सहयोगी भी अब अपनी-अपनी बिसात बिछाने में लग चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी जहां अपने विधायकों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा तैयार करवा रही है, वहीं समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी तक सभी ने अपनी तैयारियों की रफ्तार तेज कर दी है।
इस राजनीतिक माहौल में निषाद पार्टी के मुखिया और योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के एक हालिया बयान ने चर्चाओं को नई दिशा दे दी है। बीते कुछ समय से संजय निषाद “संविधान यात्रा” के तहत सहारनपुर से लेकर सोनभद्र तक की यात्रा पर हैं और इस दौरान वे लगातार अपने समुदाय की राजनीतिक मांगों को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
बीजेपी को चेतावनी, सहयोगियों को संदेश
संजय निषाद पहले भी कई बार भारतीय जनता पार्टी को यह सलाह दे चुके हैं कि वह “दूसरे दलों से आए विभीषणों” से दूरी बनाए। यह टिप्पणी राजनीतिक गलियारों में साफ संकेत मानी जा रही है कि निषाद पार्टी अपनी अहमियत जताने की कोशिश कर रही है।
उनकी यात्रा के दौरान कई मौकों पर उन्होंने यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश की लगभग 200 विधानसभा सीटों पर निषाद समाज का प्रभाव है। यही नहीं, जालौन में यात्रा के एक पड़ाव पर संजय निषाद ने यहां तक कह दिया कि उनकी पार्टी इन सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है।
क्या है निषाद पार्टी की मंशा?
हालांकि जब उनसे बीजेपी के साथ सीटों को लेकर बातचीत के बारे में पूछा गया, तो उनका जवाब अक्सर यही रहा कि संवाद चल रहा है। राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से फिलहाल निषाद पार्टी के पास 5 विधायक हैं, लेकिन संजय निषाद का दावा है कि उनका समाज 200 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने पार्टी के नेताओं को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने की मांग सामने रखी थी, लेकिन उस वक्त उन्हें बीजेपी की ओर से वैसा सहयोग नहीं मिल पाया जैसा वह चाहते थे।
राजनीतिक दबाव या रणनीतिक तैयारी?
विश्लेषकों का मानना है कि 200 सीटों का दावा कर के संजय निषाद न सिर्फ अपनी पार्टी की राजनीतिक पकड़ मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि बीजेपी पर दबाव भी बनाना चाहते हैं ताकि आगामी चुनाव में उन्हें ज़्यादा हिस्सेदारी मिल सके। अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी अपने सहयोगी की मांगों के आगे झुकेगी या फिर कोई नया फॉर्मूला सामने लाकर स्थिति को संभालेगी? उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह टकराव आगे क्या रूप लेगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।