कभी मालाबार विद्रोहियों ने बोला घर पर हमला तो कभी कम्युनिस्ट होने के चलते होना पड़ा अंडरग्राउंड, पढ़ें देश के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम की कहानी

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Namboodiripad Birthday
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Namboodiripad Birthday: इस समय देश के कई राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें हैं। कई में भारतीय जनता पार्टी तो कई राज्यों में प्रदेश स्तर की पार्टियों की सरकारें हैं। लेकिन 1957 में ऐसा नहीं था। तब देश को आजाद हुए मुश्किल से 10 साल हुए थे। संविधान को लागू हुए तो उससे भी कम समय हुआ था। राजनीति और चुनाव में तो एकतरफा कांग्रेस की तूती बोलती थी।

उस समय जब केरल विधानसभा के लिए पहली बार चुनाव हुए तो नंबूदरीपाद के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बनी। इस तरह नंबूदरीपाद देश के पहले कम्युनिस्ट नेता बने जो किसी राज्य का सीएम था। न सिर्फ भारत बल्कि एशिया में ये पहली कम्युनिस्ट सरकार थी जिसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुना गया था।

Namboodiripad Birthday  first non congress cm
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अपने कार्यकाल में नंबूदरीपाद सरकार ने जमीन सुधार और शिक्षा क्षेत्र में काम किया। हालांकि राज्य में सरकार विरोधी आंदोलन के चलते 1959 में केंद्र की नेहरू सरकार ने केरल सरकार को भंग कर दिया। माना जाता है कि इंदिरा गांधी ने नेहरू को ऐसा करने के लिए कहा था। एक कारण ये भी था कि अमेरिका केरल में कम्युनिस्ट सरकार आने से बौखला गया था। इसका असर भारत के साथ रिश्तों पर पड़ रहा था।

Namboodiripad Birthday: मालाबार विद्रोहियों ने बोला घर पर हमला…

आपको बता दें कि ईएमएस नंबूदरीपाद का जन्म 13 जून 1909 को केरल के एलमकुलम गांव में हुआ था। ये गांव आज मलप्पुरम ज़िले में है। पांच साल की उम्र में नंबूदरीपाद के सिर से पिता का साया उठ गया था। 1921 में जब मालाबार विद्रोह हुआ तो इनके घर पर भी हमला हुआ था।

नंबूदरीपाद ने अपने जीवन की शुरूआत से ही अपने समाज में जातिवाद और कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाई। आगे चलकर उन्होंने तरक्कीपसंद सोच रखने वाले युवाओं का एक संगठन भी बनाया। जब नंबूदरीपाद ने कॉलेज में दाखिला लिया तो फिर ये कांग्रेस से जुड़ गए और आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 1939 में वे मद्रास विधानसभा के लिए चुने गए। समय के साथ उनकी सोच में बदलाव आया और वे वामपंथी आंदोलन से जुड़ गए। माना जाता है कि उन्होंने ही केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। वामपंथी आंदोलन से जुड़े होने के चलते उन्हें अंडरग्राउंड भी होना पड़ा था।

केरल विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो नंबूदरीपाद ने 1957,1960,1965,1967,1970 और 1977 के चुनावों में जीत दर्ज की। 1964 में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में फूट पड़ी तो वे माकपा यानी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अलग हुए। 1967 में नंबूदरीपाद फिर सीएम बने। इस बीच वे केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। वे 1977 से 1992 तक माकपा महासचिव रहे। 19 मार्च 1998 को उनका निधन हुआ।

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