Ayodhya Jail: 98 साल की उम्र में किसी भी व्यक्ति को सबसे अधिक जो जरूरत होती है, वह है उसकी सेवा की। यानी उसकी सेवा करने के लिए उसके पास में कोई हो। लेकिन, यहां एक ऐसा मामला सामने आया है, जो इंसानियत पर भी कई तीखें सवाल करता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की अयोध्या जेल से एक 98 वर्षीय बुजुर्ग को रिहा किया गया है। जनवरी के इस कंपकंपाती ठंड में उस बुजुर्ग की रिहाई पर उसे कोई लेने तक नहीं आया। उसके बाद वहां की पुलिस और जेल प्रशासन जो करता है, वह सबका दिल जीत लेता है।
Ayodhya Jail: पुलिस ने अपनी गाड़ी से भेजा घर
उत्तर प्रदेश के कारागार महानिदेशक के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट एक वीडियो शेयर की गई है। इस वीडियो में जिस 98 वर्षीय बुजुर्ग को जिला कारागार अयोध्या से रिहा किया गया उनका नाम रामसूरत बताया गया है। वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है “परहित सरिस धर्म नहीं भाई। 98 वर्षीय रामसूरत जी की रिहाई पर लेने कोई नहीं आया। अधीक्षक जिला जेल अयोध्या शशिकांत मिश्र पुत्रवत अपनी गाड़ी से घर भेजते हुए।”
आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि बुजुर्ग रामसूरत को पुलिस अधिकारी पूरे सम्मान के साथ गाड़ी में बैठाते हैं। रामसूरत को फूल के माला भी पहनाएं गए हैं। वीडियो में एक पुलिस अधिकारी रामसूरत से कहता है “साढ़े नौ हजार जो जमा था रख लीजिए इसको। हमारे सिपाही जा रहे हैं आपको घर पहुंचा के आएंगे।” इसके बाद बुजुर्ग को पुलिस अधिकारी अपने अन्य सिपाहियों के साथ जिला कारागार अयोध्या से बाहर लेकर आते हैं और गाड़ी में बैठाकर छोड़ने जाते हैं।
वीडियो में आप सुन सकते हैं कि रामसूरत से उनके घर के बारे में पूछा जाता है तो वे बताते हैं कि उन्हें मंदिर जाना है।
रामसूरत का क्या था अपराध?
ट्विटर पर शेयर किए गए इस वीडियो पर लोग कई प्रश्न भी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने पूछा है “उनका (रामसूरत) अपराध क्या था?” आपको बता दें कि फिलहाल इस सवाल का जवाब भी सामने नहीं आया है कि आखिरकार इस बुजुर्ग का अपराध क्या था।
वहीं, कई यूजर्स ने इंसानियत पर भी अपनी बात कही है। एक यूजर ने लिखा “इसमें कोई शक नहीं कि काम नेक नियत से किया गया, परंतु 98 साल में बेसहारा छोड़ देना भी सही नहीं है। कोई लुटेरा रुपए लूटकर ठंड में मरने के लिए उनको छोड़ देगा, लानत है ऐसी न्याय व्यवस्था पर जहां चोर उचक्के बाहर घूम रहे हैं और 98 साल का बुजुर्ग सजा काट रहा है, पता नहीं उनका अपराध क्या था।” वहीं, कुछ लोग पुलिस को इसके लिए साधुवाद भी दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा “इस पहल के लिए अधीक्षक शशिकांत मिश्र को साधुवाद”
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