‘तेरे चेहरे में वो जादू है…!’ गुजरात चुनाव में काम करेगा मोदी मैजिक?

"मैं गुजराती खाना नहीं भूला हूं, जैसे भावनगर के प्रसिद्ध गोविंदभाई 'गांथिया', या सूरत की 'थाली', लेकिन जब से मैं नवरात्रि का व्रत कर रहा हूं, गुजराती खाना मैं बिना चखे ही जा रहा हूं।"

0
87
Modi magic will work in Gujarat elections
Modi magic will work in Gujarat elections

Gujarat Elections 2022: हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को हुए चुनाव से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं से भाजपा को फिर से चुनकर इतिहास रचने की जोरदार अपील की थी। पीएम ने कहा था कि ‘कमल’ के लिए दिया गया हर वोट उनकी ताकत को बढ़ाएगा। वहीं, गुजरात के लिए पीएम ने कहा था कि इस बार वह राज्य में सभी रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं। तो क्या गुजरात के विधानसभा चुनावों में काम करेगा मोदी का जादू? आइए विस्तार से समझते हैं:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के लिए तय तारीख से कुछ माह पूर्व से ही गुजरात के मतदाताओं पर अपना जादू बिखेर रहे हैं। गुजरात की जनता को रिझाने के लिए चाहे सूरत और भावनगर का रोड शो हो या फिर 29,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ और राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन का अवसर। पीएम केंद्र के साथ-साथ गुजरात चुनाव के लिए भी ग्राउंडिंग करते रहे हैं।

Gujarat Elections 2022: 2017 में ताकत बना था मोदी मैजिक

गुजरात में 2017 के चुनाव में भी मोदी मैजिक ही भाजपा की ताकत बना था। दरअसल पाटीदार आंदोलन के बाद प्रदेश में तेजी से सत्ता विरोधी लहर चली थी। इसी को देखते हुए चुनाव में ऐन वक्त पर पीएम मोदी ने प्रचार की कमान संभाली और मोदी मैजिक काम कर गया। हालांकि, उस चुनाव में 2002 के बाद से बीजेपी की सबसे कम, यानी की 99 सीटें आईं थीं। इस बार ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही पहले से ही पीएम मोदी के हाथों में चुनावी कमान दे दी गई है।

आपको याद होगा…हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी स्टेडियम में राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने लगभग एक लाख दर्शकों का अभिवादन स्वीकार करते हुए पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया था। फिर मोदी ने गांधीनगर-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस को न सिर्फ हरी झंडी दिखाई, बल्कि गांधीनगर से कालूपुर तक का सफर भी तय किया। उन्होंने अहमदाबाद मेट्रो के पहले चरण का भी उद्घाटन किया, और वहां भी, उन्होंने मेट्रो में यात्रा की। इस दौरान उन्होंने युवाओं से मुलाकात भी की थी। आम गुजरातियों के जय-जयकार, नारे और उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया ने स्पष्ट रूप से गुजरात में लोगों के साथ मोदी के संबंधों की गहराई को प्रदर्शित किया है।

96085922 modi 1
पीएम मोदी

मोदी के चुनावी अभियान की अप्रत्यक्ष शुरुआत

बता दें कि स्टेडियम का चक्कर लगाना, वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाना और मेट्रो में सफर करना, यह मोदी के चुनावी अभियान की अप्रत्यक्ष शुरुआत थी, क्योंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। जब मोदी ने अपना रोड शो निकाला तो आम लोगों में उत्साह साफ झलक रहा था। इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि शो के दौरान कहीं-कहीं लोक नर्तकों नृत्य किया गया, अपनी धरती के पुत्र का स्वागत करने के लिए लोक गीतों का गायन किया गया। मोदी ने भीड़ को निराश नहीं किया। एक जगह उन्होंने 29,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास या उद्घाटन करते हुए कहा, ”मैं लंबे समय के बाद गुजरात आया हूं, लेकिन खाली हाथ नहीं हूं।

इस दौरान जब मोदी ने कहा, “मैं गुजराती खाना नहीं भूला हूं, जैसे भावनगर के प्रसिद्ध गोविंदभाई ‘गांथिया’, या सूरत की ‘थाली’, लेकिन जब से मैं नवरात्रि का व्रत कर रहा हूं, गुजराती खाना मैं बिना चखे ही जा रहा हूं।”

Gujarat Elections 2022
Gujarat Elections 2022

पीएम की 25से ज्यादा रैलियां कराने का प्लान

गौरतलब है कि गुजरात में विजयी रथ की कमान एक बार फिर पीएम मोदी ही संभाल रहे हैं। भाजपा पीएम की रैली कराने के लिए तैयार है। दरअसल, गुजरात में सभी कैंडिडेट पीएम मोदी की सभा चाहते हैं। हालांकि, ऐसा संभव नहीं हो सकता। समय भी कम है। ऐसे में बीजेपी ने ऐसा प्लान तैयार किया है कि पीएम की 25 रैलियों में ही 150 से ज्यादा सीटें कवर हो जाएं। इसके लिए एक प्रस्ताव बनाकर पीएमओ भेज दिया गया है। वहां से अनुमति मिलते ही रैलियों की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा। भाजपा पीएम की ताबड़तोड़ रैली के बहाने राज्य में एक बार फिर मोदी मैजिक चलाना चाहती है।

जनता के मन में क्या?

बिल्कीस बानो मामला

गुजरात को संघ परिवार के हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है। इस चुनाव में बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में दोषी ठहराये गये लोगों की सजा कम करने का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग रहेगा। मुसलमान बिल्कीस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं हिंदू इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देना चाहेंगे।

सत्ता-विरोधी लहर का असर

भाजपा 1998 से 24 साल से गुजरात की सत्ता में है और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार समाज के कुछ वर्गों में उसे लेकर असंतोष उपजा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोग मानते हैं कि महंगाई, बेरोजगारी और अन्य बुनियादी मुद्दों का भाजपा के इतने साल के शासन के बाद भी कोई हल नहीं निकला है।

मोरबी पुल हादसा

मोरबी में 30 अक्टूबर को पुल गिरने से 135 लोगों की जान चली गयी। इस घटना से प्रशासन और अमीर लोगों के बीच सांठगांठ सामने आई है। मतदान के लिए जाते समय लोगों के दिमाग में यह मुद्दा रह सकता है।

किसानों का मुद्दा

राज्य के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान के ऐवज में मुआवजा नहीं दिया गया है।

हालांकि, इन मुद्दों से इतर एक महत्वपूर्ण फैक्टर यह है कि मोदी जब भी अपने गृह राज्य का दौरा करते हैं तो प्रधानमंत्री नहीं, पक्के गुजराती बन जाते हैं। गुजरात में परिवार के मुखिया के रूप में उनका स्वागत किया जाता है। प्रधानमंत्री के रूप में, वह सभा स्थल पर अपने हेलीकॉप्टर से कभी नहीं उतरते। वह एयरपोर्ट पहुंचते हैं और एयरपोर्ट से सभा स्थल तक रोड शो करते हैं। इससे उन्हें अपने लोगों के साथ बातचीत करने का सुनहरा मौका मिलता है। राज्य विधानसभा चुनाव में कुछ न कुछ असर इसका भी पड़ेगा।

यह भी पढ़ें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here