नागपुर का ऐतिहासिक अधिवेशन, जिसके बाद Indian National Congress गांधी की हो गयी…

Indian National Congress: इस अधिवेशन में यह स्वीकार किया गया था कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी असहयोग आंदोलन चलाएगी। साल 1920 को गांधी नागपुर पहुंचे और उनके साथ खिलाफत आंदोलन के नेता शौकत अली थे, यहां इन लोगों का बड़ी संख्या में लोगों ने स्वागत किया।

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महात्मा गांधी
महात्मा गांधी

Indian National Congress: नागपुर अधिवेशन, जिसके बाद कांग्रेस गांधी की हो गयी……..दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए इस महीने 17 तारीख को चुनाव होना है। यह भी तय हो गया है कि चुनावी मैदान में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर हैं। अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे खड़गे का नाम चल रहा है। लेकिन ये सब खबरें और चुनावी गतिविधियां महज औपचारिकता ही लगती हैं। ऐसा नजर नहीं आता है कि कांग्रेस पार्टी किसी बड़े परिवर्तन की ओर आगे बढ़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लंबे समय तक अध्यक्ष रही हैं और शायद अब वे चाहती हैं किसी वफादार को ही ये पद सौंप दिया जाए। खासकर तब जब उनके बेटे राहुल इस पद को स्वीकार करना नहीं चाहते।

हालांकि आज महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव पर बात करना और भी दिलचस्प हो जाता है। गांधी खुद कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने साल 1924 में पार्टी के 39वें अधिवेशन की सदारत की थी। यह अधिवेशन कर्नाटक के बेलगांव में आयोजित किया गया था। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि भले ही गांधी ने 1924 में अध्यक्षता ग्रहण की हो लेकिन पार्टी पर उनकी पकड़ 1920 के नागपुर अधिवेशन से ही मजबूत हो गयी थी।

Indian National Congress and its Leaders.
Indian National Congress

Indian National Congress: महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाने की घोषणा

Indian National Congress:इस अधिवेशन में यह स्वीकार किया गया था कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी असहयोग आंदोलन चलाएगी। साल 1920 को गांधी नागपुर पहुंचे और उनके साथ खिलाफत आंदोलन के नेता शौकत अली थे, यहां इन लोगों का बड़ी संख्या में लोगों ने स्वागत किया। 30 दिसंबर को जब गांधी ने अधिवेशन को संबोधित किया तो चारों ओर से महात्मा गांधी की जय के नारे लग रहे थे। एक आंकड़े के मुताबिक इस अधिवेशन में 14,582 डेलीगेट पहुंचे थे और लगभग सभी गांधी के समर्थन में थे। इस अधिवेशन के बाद कांग्रेस पूरी तरह से गांधी की हो चुकी थी।

हालांकि गांधी की इस कामयाबी के पीछे सफलता उन यात्राओं की थी, जो उन्होंने अधिवेशन से पहले की थीं। क्योंकि नागपुर अधिवेशन से पहले जब गांधी ने सितंबर में कलकत्ता में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा था तो पार्टी नेताओं में से 1855 ने उनका समर्थन किया तो 873 ने विरोध किया था।

Indian National Congress: पार्टी को ऐसे अध्‍यक्ष की जरूरत जो देशभर से लोगों को जोड़े

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Indian National Congress President Election.

Indian National Congress: इसके बाद गांधी अक्टूबर में पंजाब और संयुक्त प्रांत, आज के उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहे। नवंबर में गांधी बॉम्बे प्रेसीडेंसी के दौरे पर गए। अक्टूबर में गांधी ने 19 शहरों और नवंबर में 29 शहरों का दौरा किया था। यही नहीं इसी साल अगस्त में मद्रास प्रेसीडेंसी के दौरे पर रहते हुए गांधी ने असहयोग आंदोलन का जमकर प्रचार किया था। यानी उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम गांधी अपने कार्य के लिए समर्थन जुटा रहे थे। निष्कर्ष ये है कि कांग्रेस को ऐसे अध्यक्ष या नेता की जरूरत है, जो देशभर में यात्रा कर, लोगों से जुड़े और समर्थन जुटाए, परिवार विशेष के वफादार को अध्यक्ष बना देने से कुछ नहीं होगा।

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