जब गांधी ने BHU में सबको नाराज कर दिया, एनी बेसेंट बीच भाषण टोकती रहीं; दरभंगा महाराज को करना पड़ गया था ये काम…

चूंकि भारत लौटने के बाद ये गांधी का पहना सार्वजनिक भाषण था इसलिए सब कयास लगा रहे थे कि गांधी दक्षिण अफ्रीका के अपने तजुर्बों को लेकर कुछ कहेंगे।

0
264
mahatma gandhi in BHU
mahatma gandhi in BHU

यह तो सभी जानते हैं कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1916 में हुई थी। उस साल बसंत पंचमी के दिन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर की आधारशिला रखी थी। इस मौके पर देशभर से कई बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया था। 4 फरवरी को कार्यक्रम की शुरूआत दरभंगा के महाराज रामेश्वर सिंह द्वारा दिए गए स्वागत भाषण से हुई। यह एक बड़ा आयोजन था जो कि कई दिन चलना था। 6 फरवरी को जब एनी बेसेंट ने अपना भाषणा दिया तो उसके बाद नंबर आया महात्मा गांधी का।

चूंकि भारत लौटने के बाद ये गांधी का पहना सार्वजनिक भाषण था इसलिए सब कयास लगा रहे थे कि गांधी दक्षिण अफ्रीका के अपने तजुर्बों को लेकर कुछ कहेंगे। अपने इस भाषण में गांधी ने मैकाले की धज्जियां उड़ाते हुए कहा था कि मैकाले द्वारा लिखा गया ‘मिनट ऑन इंडियन एजुकेशन’ उनकी भारत को लेकर अब तक की सबसे बड़ी भूल है।

गांधी ने इस मौके पर भारत के किसानों के हित की बात कही थी। गांधी ने कहा था कि भारत की भलाई तब ही मुमकिन है जब यहां का किसान अपनी जिम्मेदारी समझेगा। जब वह खुद का पेट भर सके और अपने बदन को ढकने लायक कपड़े पहन सके। महात्मा गांधी ने यहां तक कह दिया था कि उन्हें नहीं लगता कि ये सब चीजें छात्रों को इस यूनिवर्सिटी में सिखायी जाएंगी।

बड़े-बड़े राजाओं-महाराजाओं पर तंज कसते हुए गांधी ने कहा था कि क्या यह जरूरी है कि हम ब्रिटेन के राजा को खुश करने के लिए सिर से पांव तक खुद को गहनों से लाद लें। गांधी ने कहा था कि देश की भलाई के लिए राजा महाराजाओं को ये आभूषण उतार फेंकने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम ऐसे ही किसानों की पूरी मेहनत की कमाई को लुटने देते हैं तो हम कभी स्वाधीन नहीं हो सकेंगे।

उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास की गंदगी का जिक्र करते हुए कहा था कि क्या मंदिर के आस-पास की गंदगी हमारी कमियों के बारे में नहीं बताती है। मंच पर जब गांधी बोल रहे थे तो गुस्से में अलवर के महाराज उठकर चल दिए और बाद में गांधी को पागल करार दिया।

इस मौके पर गांधी ने वायसराय की भी आलोचना की । उन्होंने कहा कि अगर वायसराय को बनारस आने में इतना डर लग रहा था कि इतनी जासूसी करवानी पड़ रही है तो वे आए ही क्यों? साथ ही गांधी ने इस भाषण में बंगाल के भूमिगत क्रांतिकारियों पर भी हमला बोला और कहा कि वे भटके हुए हैं और उन्हें किस बात का डर है कि वे छिपे हुए हैं?

गांधी यह सब बोले जा रहे थे कि एनी बेसेंट को गांधी को टोकना पड़ा, लेकिन छात्र गांधी को सुनना चाहते थे। जब गांधी ने दरभंगा के महाराज से पूछा कि वे क्या करें तो उन्होंने कहा कि वे अपने विषय को स्पष्ट करें। गांधी ने कहा कि वे देश में अराजकता के खिलाफ हैं। देश में शासन आपसी प्रेम और विश्वास के साथ चलना चाहिए।

अपने भाषण में गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता पर जमकर हमला बोला और कहा कि भारतीयों को अपनी स्वाधीनता की लड़ाई खुद लड़नी होगी। इसके बाद फिर से एनी बेसेंट ने गांधी को चुप हो जाने को कहा। आखिर में दरभंगा के महाराज को सभा विसर्जित करनी पड़ गयी।

बाद में गांधी के भाषण को लेकर महामना मदन मोहन मालवीय को माफी मांगनी पड़ी और सफाई देनी पड़ी। हालांकि इस भाषण ने अधिकतर लोगों को नाराज कर दिया था। जब मामले ने तूल पकड़ा तो गांधी ने कहा कि अगर एनी बेसेंट ने उन्हें टोका नहीं होता तो वे लोगों की शंकाओं को समाप्त कर देते। वैसे तो उस समय पुलिस ने चाहा था कि गांधी को गिरफ्तार कर लिया जाए लेकिन प्रशासन नहीं चाहता कि जेल जाने से लोगों की नजर में गांधी फिर से हीरो बन जाएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here