मुलायम के करीबी और अखिलेश सरकार में मंत्री रहे समाजवादी पार्टी के नेता अंबिका चौधरी, मायवती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए। एक संवाददाता सम्मेलन कर बसपा प्रमुख मायावती ने अंबिका को पार्टी की सदस्यता दिलाई। अंबिका चौधरी को पार्टी से बगावत करने का फायदा भी हुआ। वो अपनी पारंपरिक विधानसभा सीट बलिया के फेफना से ही चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर हालांकि वह 2012 में हार गए थे और बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया था। अंबिका चौधरी मुलायम के क़रीबी माने जाते थे। हाल के दिनों में सपा में अंदरुनी कलह के दौरान वो हमेशा मुलायम के साथ खड़े दिखे थे। अखिलेश से दूरी और आखिलेश की फेवरिट लिस्ट में ना होने की वजह से अंबिका चौधरी अपनी उम्मीदवारी बचाने में नाकाम रहे थे।
अंबिका चौधरी ने कहा, ‘मैंने सपा की प्राथमिक सदस्यता और उससे संबंधित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मैं पूरी तरह समर्पित होकर बसपा के साथ आगे की राजनीति में, जो दिशा-निर्देश पार्टी और बहनजी (मायावती) का होगा, उसके लिए खुद को समर्पित करता हूं। चौधरी ने कहा, “मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ पिछले दो महीने में जो किया वह अच्छा नहीं था।मेरे बसपा में शामिल होने की वजह ये है कि चुनावों में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोका जा सके।”
उन्होंने कहा कि वह मुलायम और शिवपाल यादव दोनों के करीब थे, लेकिन समाजवादी पार्टी में जो कुछ हुआ, वह अच्छा नहीं था। समाजवादी अपनी राह से भटक गए हैं। अखिलेश की ओर इशारा करते हुए चौधरी ने कहा कि जब एक बेटा अपने पिता के साथ इस तरह का बर्ताव करता है तो इसके बाद और कुछ कहने को क्या बचता है? उत्तर प्रदेश के विकास के लिए बहन जी की सरकार जरुरी है।