21वीं शताब्दी के इस दौर में ज़माना दिनों-दिन आधुनिक तो होता जा रहा है पर इसके साथ-साथ तकनीक की इस दुनिया में तकनीकी क्राइमों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैं। सोशल मीडिया, इंटरनेट, मोबाइल, सिम कार्ड इन तमाम आधुनिक चिज़ों का कुछ लोग गलत इस्तेमाल करने लगे है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह एक साल के अंदर देश के सभी सिम धारकों के मोबाइल नंबरों को उनके आधार कार्ड से जोड़े। कोर्ट ने पोस्टपेड और प्रीपेड दोनों मोबाइल कनेक्शन के लिए यह आदेश जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ऐसी योजना बनाए जिससे एक साल के भीतर सभी मोबाइल नंबर ग्राहक के आधार कार्ट से जुड़ जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक और आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रीपेड ग्राहक जब भी मोबाइल रिचार्ज कराएं तो उन्हें उससे संबंधित एक फार्म भरना भी अनिवार्य होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो मोबाइल फोन या सिम कार्ड बैंकिग प्रकिया के लिए इस्तेमाल किए जाते है उनका वेरीफिकेशन करना बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट इन तमाम नियमों को एक साल में लागू करने का आदेश दिया और कहा कि मोबाइल और सिम के गलत उपयोग से बचने के लिए ये नियम जरूरी हैं।
गौरतलब है कि आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर अभी भी तक अंतिम फैसला नहीं आया है। इसको लेकर अभी भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, लेकिन नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए आधार कार्ड से जोड़ा है और इस क्रम लगातार नए बदलाव कर रही है। देश के सभी नागरिकों डिजिटल पेमेंट और कैशलेस सुविधा के प्रति जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार ने आधार कार्ड का जरिया अपनाया क्योंकि देश में अधिकतम नागरिकों के पास आधार कार्ड है।